वारासिवनी। शासकीय शंकर साव पटेल महाविद्यालय, वारासिवनी में 14 अक्टूबर को “विकसित भारत : विजन 2047 – विविध संदर्भ” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन आभासी मंच के माध्यम से किया गया।
कार्यक्रम का संचालन श्री नरेन्द्र कुमार डोंगरे, सचिव द्वारा किया गया। डॉ. रक्षा निकोसे, कार्यक्रम संयोजक ने वेबीनार के विषय का परिचय देते हुए इसके उद्देश्यों एवं महत्व पर सारगर्भित रूप से प्रकाश डाला।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.एस. गेड़ाम ने अपने उद्बोधन में विकसित भारत के निर्माण में ज्ञान, विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में हो रही प्रगति पर विचार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएँ दीं।
श्री प्रफुल्ल बिसेन ने अपने वक्तव्य में राष्ट्र एवं समाज के उत्थान में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
मुख्य वक्ता डॉ. श्रीकांत लक्ष्मणराव आरले ने “विकसित भारत विजन 2047” विषय को साहित्यिक दृष्टि से प्रस्तुत करते हुए युगानुरूप परिवर्तनों एवं वर्तमान साहित्य के विकास पर चर्चा की। वहीं द्वितीय मुख्य वक्ता डॉ. रमाकांत राय ने प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा की स्वीकार्यता और वर्ष 2047 तक हिन्दी भाषा के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित होने की संभावना पर विचार रखे।
मार्गदर्शक प्रवक्ता डॉ. गोविंद सिरसाठे ने अपने वक्तव्य में साहित्य को राष्ट्र की आत्मा बताते हुए विकसित भारत के लिए संस्कृति, शिक्षा, नवाचार एवं नैतिक मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. ज्योति बर्फे, सहायक प्राध्यापक (हिन्दी), शासकीय महाविद्यालय मनावर, जिला धार ने अपने शोध पत्र में विकसित भारत की शिक्षा प्रणाली पर विवेचन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अंत में सहायक प्राध्यापक (हिन्दी) एवं सह-संयोजक श्री कृष्णा पराते ने वेबीनार में पंजीकृत 186 प्रतिभागियों तथा वर्चुअल मंच पर उपस्थित 147 से अधिक प्रतिभागियों, सभी संरक्षकों, मुख्य वक्ताओं, परामर्श एवं आयोजन समितियों, तकनीकी दल, महाविद्यालय परिवार एवं छात्र-छात्राओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
बालाघाट ब्युरो प्रहलाद गजभिये
अभयवाणी न्यूज