रायसेन।जिले में नकली खाद के कारोबार को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। किसान जागृति संगठन के प्रमुख इरफान जाफरी ने इस पूरे मामले को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि 24 जुलाई को रायसेन जिले के ग्राम बागौद में किसानों की शिकायत पर एसडीएम मुकेश कुमार के नेतृत्व में की गई कार्रवाई के दौरान 93 बोरी डीएपी खाद जब्त की गई थी। इस कार्रवाई में कृषि विभाग के अधिकारी भी शामिल थे।
इरफान जाफरी ने प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया कि इस मामले की पूरी जानकारी अधिकारियों को दी गई थी, गोदाम की लोकेशन से लेकर संलिप्त लोगों तक की जानकारी सौंपी गई थी। बावजूद इसके, भोपाल में 29 जुलाई को जब छापेमारी की गई, तब तक माफिया सारा सामान लेकर फरार हो चुके थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि रायसेन के उपसंचालक केपी भगत ने भोपाल संचालक सुमन प्रसाद को न तो समय पर फोन पर सूचना दी और न ही कोई पत्र लिखा। वहीं सलामतपुर थाना प्रभारी का बयान भी चौंकाने वाला रहा जिसमें उन्होंने कहा कि भोपाल में कोई भी कृषि विभाग का अमला नहीं मिला।
इरफान जाफरी ने उठाए कई सवाल—
पांच दिन तक कृषि विभाग क्यों सोता रहा?
भोपाल में त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
क्या विभागीय अधिकारी माफिया को बचाने में जुटे थे?
भोपाल उपसंचालक, जिनके पास संयुक्त संचालक का भी प्रभार है, वो कार्रवाई की बजाय पत्र का इंतजार क्यों करती रहीं?
उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को कृषि विभाग और खाद माफिया की सांठगांठ का परिणाम बताया और मांग की कि रायसेन उपसंचालक केपी भगत और भोपाल उपसंचालक सुमन प्रसाद के खिलाफ तत्काल विभागीय एवं कानूनी कार्यवाही की जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा मिल सके।
यह मामला अब प्रदेशभर में किसानों की चिंता का कारण बनता जा रहा है। नकली खाद से फसलें बर्बाद हो रही हैं और जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई की बजाय चुप्पी साधे हुए हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कब और कैसी कार्रवाई करता है।