वनांचल ग्रामों में शिक्षा और संस्कार की लौ जलाई गई – 124 सरस्वती संस्कार केंद्रों की शुरुआत

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RAISEN MP: जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा और संस्कार की अलख जगाने के लिए विद्या भारती मध्य भारत प्रांत द्वारा संचालित भाऊराव देवरस सेवा न्यास ने एक सराहनीय पहल करते हुए वनांचल ग्रामों में 124 सरस्वती संस्कार केंद्रों की शुरुआत की है। इन केंद्रों का शुभारंभ वंदना, प्रार्थना, हवन, पूजन और पौधारोपण जैसे पारंपरिक तरीकों से किया गया।


कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने विद्या भारती के उद्देश्य और कार्य पद्धति को विस्तार से बताया। उन्होंने जनजातीय शिक्षा के सात प्रमुख आयाम — शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, स्वावलंबन, स्वदेशी प्रेम, समरसता, और नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा — की उपयोगिता पर बल दिया।



इसके साथ ही ‘पंच परिवर्तन’ अभियान को भी केंद्र में रखा गया जिसमें पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, स्वयं की पहचान (स्वा का बोध), नागरिक कर्तव्य और समरसता जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है।



कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि वर्तमान समय में बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि संस्कार युक्त शिक्षा देना समय की मांग है। इन संस्कार केंद्रों में आचार्य-दीदी न केवल पढ़ाई कराएंगे, बल्कि बच्चों को व्यवहार, समाज और पर्यावरण के प्रति भी जागरूक करेंगे।



शिक्षा के साथ-साथ समाजसेवा से जुड़ी गतिविधियां जैसे वृक्षारोपण, जल संरक्षण, पॉलीथिन मुक्त गांव निर्माण, और अन्नपूर्णा मंडपम योजना (जिसमें हर घर में जैविक खेती और सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देना शामिल है) भी सालभर इन केंद्रों में चलेंगी।

यह पहल निश्चित रूप से वनांचल के बच्चों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बनेगी — शिक्षा के साथ संस्कार और समाज से जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी।







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