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फसल विविधीकरण पर दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न, कृषि को नई दिशा देने पर जोर!

सिवनी 25 फरवरी 25/ कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी में कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर एवं भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम मेरठ द्वारा फसल विविधीकरण विषय पर दो दिवसीय कृषि प्रसार अधिकारी व आदान विक्रेता का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्राध्यापक डॉ एम एल केवट एवं विशिष्ट अतिथि आचार्य एवं विभागाध्यक्ष पौध कार्यकी विभाग डॉ ज्ञानेन्द्र तिवारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नम्रता जैन परियोजना प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ शेखर सिंह बघेल उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि डॉ एम एल केवट ने कहा कि जिस प्रकार हमारे जीवन में विविधता का महत्व हे उसी प्रकार फसल की गुणवत्ता एवं भूमि की उत्पादकता की दशा सुधारने में फसल विविधीकरण की महती उपयोगिता है। अपने माटी के कार्बन की उपयोगिता, मिश्रित खेती, क्षेत्र विशेष खेती. इंटर क्रॉपिंग दलहनी व तिलहनी फसलों के प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त कर बेहतर कृषि कार्य कर आर्थिक स्थिति को सुदृढ बना सकते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ ज्ञानेन्द्र तिवारी ने बताया की खेती की बेहतर तकनीक, उन्नत किस्मों व औषधिय पौधों का बेहतर चयन कर सही जानकारी से बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वर्तमान में भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है अतः समय परिस्थितियों के अनुसार हमारे किसान भाइयों को स्मार्ट खेती करनी होगी ताकि फसलों के विविधीकरण करने से विषम परिस्थितियों में भी बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में परियोजना की नोडल अधिकारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नम्रता जैन ने बताया कि फसल विविधीकरण परियोजना अंतर्गत मध्यप्रदेश में यह प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी में प्रारंभ किया गया है यह बड़े गौरव की बात है कि सिवनी जिले से इस फसल विविधीकरण परियोजना का कार्य किया जा रहा है आपने जानकारी देते हुए बताया कि जैव विविधता को बेहतर करने के लिए मृदा स्वास्थ्य को सुधार हेतु एवं फसलों का उत्पादन कर उनका वैल्यू एडिशन कैसे किया जाए इन विषयों पर आप ने विस्तार से हमारे विस्तार अधिकारियों को जानकारी दी। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल स्वागत उ‌द्बोधन दिया साथ ही डॉ बघेल ने कहा कि फसल विविधीकारण आज के समय की मांग है हमारे किसान भाई लगातार एक ही फसलों को उत्पादन लेंने के कारण खेती में समस्याएं पैदा हो रही है साथ ही साथ उत्पादन लागत बढ़ रही है भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है एवं खेती में प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है इन सब बातों पर यह प्रशिक्षण किसानों के लिए एक नई दिशा एवं बेहतर खेती के कार्य योजना बनाने में कारगर सिद्ध होगा। प्रशिक्षण के उपरांत कृषि विज्ञान केंद्र के फसल संग्रहालय में डॉ निखिल सिंह वैज्ञानिक द्वारा फसल संग्रहालय की विस्तार से जानकारी देते हुए प्रक्षेत्र भ्रमण कराया गयां साथ ही मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित जबलपुर से आए वैज्ञानिकों द्वारा विविधीकारण पर आधारित फसल संग्रहालय का भ्रमण किया गया प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला सिवनी के लगभग 25-30 कृषि प्रसार अधिकारी व आदान विक्रेता ने भाग लिया।

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