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वारासिवनी के महामाया बुद्ध विहार के वार्ड न. 1 तथा 4 मे सविधान दिवस का गरिमामय आयोजन ।

महामाया बुद्ध विहार सिद्धार्थ नगर वार्ड न.1 तथा वार्ड न. 4  वारासिवनी में सयुक्त रूप से संविधान दिवस हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया ।
महामाया बुद्ध विहार, सिद्धार्थ नगर वार्ड नंबर 1 वारासिवनी में 26 नवम्बर 2025 को भारतीय संविधान दिवस अत्यंत श्रद्धा, सम्मान और हर्षोल्लास के वातावरण में मनाया गया। विहार परिसर सुबह से ही विशेष रूप से सजाया गया था। स्वच्छता अभियान से शुरुआत करते हुए युवाओं और महिला मंडल ने परिसर में दीप, पुष्प और रंग-बिरंगी सजावट करके स्थान को आकर्षक और शांतिमय रूप प्रदान किया।
  👉 शांतिपूर्ण धम्म वातावरण में कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम का आरंभ विहार में एकत्रित सभी श्रद्धालुओं द्वारा त्रिशरण और पंचशील का उच्चारण करते हुए किया गया। इसके पश्चात बुद्ध वंदना, धम्म वंदना और संघ वंदना का सामूहिक पाठ हुआ, जिससे पूरा वातावरण शांति, करुणा और समानता के भावों से भर उठा।
भिक्षु संघ की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक आध्यात्मिक गरिमा प्रदान की। भिक्षुजी ने अपने उपदेश में बुद्ध के उपदेशों—समता, अहिंसा, करुणा और मैत्री—को संविधान की भावना से जोड़ते हुए कहा कि👇
 “संविधान और धम्म दोनों ही समान अधिकार, मानवता और न्याय के मार्ग पर चलने का संदेश देते हैं।”
    👉        डॉ. बी. आर. आम्बेडकर को नमन
कार्यक्रम के मुख्य चरण में संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव आम्बेडकर के छायाचित्र और प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण किया गया। श्रद्धांजलि देते हुए वक्ताओं ने कहा कि डॉ. आम्बेडकर न केवल संविधान के शिल्पकार थे, बल्कि मानवाधिकारों के महान योद्धा थे, जिन्होंने भारत को लोकतंत्र, समानता और सामाजिक न्याय का आधार दिया।

 👉      संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन

सभागार में उपस्थित सभी नागरिकों ने खड़े होकर भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया। वाचन के दौरान पूरा विहार परिसर "हम, भारत के लोग…" की गूंज से भर गया। इस क्षण ने सभी को भारतीय लोकतंत्र की शक्ति, एकता और जिम्मेदारी का भाव पुनः स्मरण कराया।

 👉     शैक्षिक और सामाजिक विचार-विमर्श

विभिन्न वक्ताओं—सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, युवा नेताओं और वरिष्ठ नागरिकों—ने संविधान की उत्पत्ति, उसकी संरचना, ऐतिहासिक महत्व और आज के समय में उसकी भूमिका पर अपने विचार रखे।
मुख्य बिंदु इस प्रकार रहे—👇

संविधान नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य दोनों बताता है।
लोकतंत्र तब मजबूत होता है जब प्रत्येक व्यक्ति न्याय, समानता और बंधुत्व की भावना को आगे बढ़ाता है।
डॉ. आम्बेडकर का संदेश—शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो—आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
बुद्ध के धम्म सिद्धांत और भारतीय संविधान की मूल भावना में अद्भुत समानता है—दोनों ही समानता और मानवता को केंद्र में रखते हैं।

👉     छात्रों की सहभागिता और सांस्कृतिक प्रस्तुति

कार्यक्रम के दौरान बच्चों एवं युवाओं ने संविधान पर आधारित भाषण, निबंध, कविता और गीत प्रस्तुत किए। एक समूह द्वारा प्रस्तुत संविधान दिवस पर लघुनाटिका को विशेष सराहना मिली, जिसमें सामाजिक समरसता, महिलाओं के अधिकार और न्याय की आवश्यकता का संदेश दिया गया।
    👉   समाज भागीदारी और एकता का संदेश
वार्ड के सभी समुदायों की सक्रिय भागीदारी ने कार्यक्रम को एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बना दिया। महिलाएं, बुजुर्ग, युवा और बच्चे सभी उत्साहपूर्वक शामिल हुए।

महिला मंडल ने “समानता का दीप जलाए रखें” विषय पर प्रेरणादायी संदेश प्रस्तुत किया।
युवा समूहों ने संविधान जागरूकता को समाज तक पहुँचाने का संकल्प लिया।
    👉        कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम के अंतिम चरण में बुद्ध विहार समिति द्वारा सभी आगंतुकों, सहयोगियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
समापन करुणा-मेट्टा ध्यान से हुआ, जिसमें सभी ने देश की शांति, सद्भाव और उन्नति के लिए प्रार्थना की।
अंत में उपस्थित नागरिकों को संविधान के मूल्य—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—को जीवन में अपनाने तथा समाज के कमजोर वर्गों की सहायता करने का संकल्प दिलाया गया।
            क्राइम रिपोर्टर - प्रताप गेडाम
                    अभयवाणी न्यूज
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