रायसेन,बेगमगंज सरकारी योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए कोहनियां-मोहनिया डेम की पिचिंग एक बारिश भी नहीं झेल सकी। डेम की दीवार (पिचिंग) टूटने से आसपास के दर्जनों किसानों की 450 हेक्टेयर भूमि पर खड़ी सोयाबीन, उड़द और मक्का की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। किसानों के खेतों में तेज बहाव से गहरे कटाव भी हो गए, जिससे खेतों की उर्वरता पर भी संकट मंडरा रहा है।
14 करोड़ की लागत... लेकिन निर्माण में भारी लापरवाही!
जल संसाधन विभाग द्वारा हाल ही में वर्ष 2024 में निर्मित इस डेम पर लगभग ₹14 करोड़ खर्च किए गए। यह डेम कोहनियां, मूड़ला चावल और आसपास के गांवों की 450 हेक्टेयर असिंचित भूमि को सिंचित करने के उद्देश्य से बनाया गया था। लेकिन निर्माण में लापरवाही के कारण डेम की एक साइड की पिचिंग (पार) टूट गई, जिससे पानी का तेज बहाव खेतों में घुस गया।
किसानों की पुकार — "हमारी मेहनत और जमीन दोनों डूब गई"
डेम टूटने से किसानों की पूरी बुआई बर्बाद हो गई। खेतों में न केवल फसल नष्ट हुई, बल्कि पानी के दबाव से गहरे गड्ढे और कटाव पड़ गए। किसान अब खेत सुधारने की स्थिति में भी नहीं हैं, क्योंकि अधिकांश खेतों में पानी और कीचड़ जमा है।
स्थानीय प्रशासन और विभागीय चुप्पी
घटना के बाद भी जल संसाधन विभाग की ओर से कोई त्वरित निरीक्षण या राहत कार्य नहीं किया गया है। किसानों ने भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग का आरोप लगाते हुए जांच और मुआवजे की मांग की है।
"खेत बर्बाद, फसलें डूबीं और सरकार खामोश यह कैसा विकास?"