मोहनिया डैम की पीचिंग टूटने से बर्बाद हुई फसलें, खेतों में भरा पानी — 14 करोड़ की लागत पर सवाल, किसानों को मुआवजा देगा कौन?

उपेंद्र कुमार गौतम
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रायसेन।बेगमगंज क्षेत्र के ग्राम कोहनियां व मोहनिया में करोड़ों की लागत से बना डैम किसानों के लिए वरदान बनने की बजाय अब अभिशाप साबित हो रहा है। करीब 14 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित मोहनिया डैम की पीचिंग हाल ही में टूट गई, जिससे पानी का तेज बहाव आसपास के खेतों में भर गया और दर्जनों किसानों की खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। गौरतलब है कि इस डैम का निर्माण सिंचाई सुविधा बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था ताकि क्षेत्र की 450 हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा सके। लेकिन डैम की गुणवत्ता और निर्माण कार्य में हुई लापरवाही अब सामने आने लगी है।

किसानों की पीड़ा:

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने वर्षों की मेहनत से खरीफ फसलें बोई थीं, लेकिन डैम टूटने से सारा मेहनत और पूंजी पानी में बह गई। खेतों में भरे पानी ने सिर्फ फसलें नहीं बल्कि किसानों के भविष्य की उम्मीदों को भी डुबो दिया। अब सवाल उठता है कि इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा? विभाग या सरकार?


जिम्मेदार कौन?

स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने जल संसाधन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। डैम निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग और निर्माण के बाद समय पर निरीक्षण न किया जाना, इस दुर्घटना के प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।


मुआवजे की मांग तेज क्षेत्र के किसान संगठनों ने प्रशासन से तुरंत सर्वे कराकर उचित मुआवजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर होंगे। अब देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इस गंभीर लापरवाही पर क्या कदम उठाते हैं?

क्या दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह धूल फांकता रह जाएगा?

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