सिलवानी: ब्लॉक के ग्राम सियरमऊ में दिनांक 14 नवंबर 2025 को राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) के अंतर्गत कृषकों के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जिले के उपसंचालक कृषि के.पी. भगत, सहायक संचालक कृषि दुष्यन्त धाकड़, एसएडीओ सुनील मालवीय, बीटीएम/फार्म अधीक्षक रघुवीर सिंह कुशवाहा, जनपद के सभापति विनोद शाह, जनपद सदस्य बंसीलाल के साथ ही क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक — कुंदनसिंह कुशवाहा सहित महावीर जैन, मनोज शुक्ला, ब्रजेश शुक्ला, संतोष शाह तथा ग्राम के लगभग 200 किसान बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अंतर्गत मसूर मिनी किट वितरण जिसमे 150 से अधिक कृषको को निशुल्क बीज मिला!
प्राकृतिक खेती की तकनीकों पर विस्तृत जानकारी
कार्यक्रम की शुरुआत बीटीएम रघुवीरसिंह कुशवाहा द्वारा प्राकृतिक खेती की मूल अवधारणा और उसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए हुई। उन्होंने किसानों को बताया कि रासायनिक खेती से बढ़ती लागत, मिट्टी की गिरती उर्वरता और कम होते उत्पादन के बीच प्राकृतिक खेती भविष्य की स्थायी पद्धति बनकर उभर रही है। इस दौरान उन्होंने जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत सहित विभिन्न तकनीकों और उनके उपयोग की विस्तृत जानकारी किसानों को प्रदान की।
एनपी कंसोर्टिया, एजोटोबैक्टर और ट्राइकोडर्मा बनाने की विधि
प्रगतिशील किसान महावीर जैन ने प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए एनपी कंसोर्टिया तैयार करने से लेकर एजोटोबैक्टर और ट्राइकोडर्मा बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि इन जैविक घोलों व जीवाणुओं के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है, उत्पादन में वृद्धि होती है तथा लागत में उल्लेखनीय कमी आती है।
खेती में नवाचारों का लाइव प्रदर्शन
इसके बाद शिक्षक कुंदनलाल कुशवाहा ने किसानों को अपने खेत पर उपलब्ध बीआरसी केंद्र, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट, अदरक की खेती की उन्नत पद्धति और वेंचुरी तकनीक द्वारा प्राकृतिक घोलों को सिंचाई में देने की विधि का प्रत्यक्ष प्रदर्शन कराया। उन्होंने किसानों को समझाया कि यदि जैविक संसाधनों का सही उपयोग किया जाए, तो छोटे किसान भी कम लागत में बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा
सहायक संचालक कृषि दुष्यन्त धाकड़ ने प्राकृतिक खेती से जुड़े वैज्ञानिक पहलुओं पर गहन जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने मिट्टी की जैविक संरचना, पोषक तत्वों के प्राकृतिक चक्र, फसल विविधता, मल्चिंग, मिश्रित खेती और शून्य बजट प्राकृतिक खेती मॉडल के फायदे विस्तार से बताए। कृषकों ने उनसे कई सवाल भी पूछे, जिनके स्पष्टीकरण उन्होंने विस्तृत उदाहरणों के साथ दिए।
एसएडीओ सुनील मालवीय की किसानों से अपील
प्रशिक्षण के दौरान एसएडीओ सुनील मालवीय ने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती की बढ़ती लागत और मिट्टी की गिरती गुणवत्ता को देखते हुए अब समय है कि किसान जैविक एवं प्राकृतिक तरीकों की ओर लौटें। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने खेतों में कम से कम एक हिस्सा प्राकृतिक खेती के लिए अवश्य सुरक्षित रखें, ताकि आने वाले समय में मिट्टी की उर्वरकता बढ़े, उत्पादन की गुणवत्ता सुधरे और खेती की लागत में भी कमी आए। मालवीय ने कहा कि प्राकृतिक खेती गांवों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ी भूमिका निभाती है।
कम से कम एक एकड़ में प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह
कार्यक्रम के अंत में उपसंचालक कृषि के.पी. भगत ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील करते हुए कहा कि वर्तमान समय में यह न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने बताया कि रायसेन में जल्द ही जैविक खेती काउंटर शुरू किया जा रहा है, जहां किसानों की प्राकृतिक उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जाएगा। इससे जैविक उत्पादों की बिक्री से जुड़ी किसानों की समस्याओं का समाधान होगा और उन्हें बेहतर बाजार उपलब्ध होगा।
मसूर की मिनी किट का वितरण
कार्यक्रम के दौरान पात्र किसानों को मसूर की मिनी किट का वितरण भी किया गया, ताकि आगामी रबी सीजन में इसका अधिक से अधिक प्रयोग हो सके।
किसानों में उत्साह
पूरे कार्यक्रम के दौरान किसानों में प्राकृतिक खेती के प्रति विशेष उत्साह देखने को मिला। प्रशिक्षकों द्वारा दिए गए व्यावहारिक ज्ञान और प्रत्यक्ष प्रदर्शन से किसानों ने नई तकनीकों को अपनाने का भरोसा जताया।
न्यूज सोर्स: मनोज शुक्ला

