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सिवनी। शहर में खुले दूध की बिक्री एक गंभीर समस्या का रूप ले चुकी है। अधिकांश डैरी दुकानों पर दूध की गुणवत्ता पर कोई नियंत्रण नहीं है, जिसके कारण मिलावट का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। मनमाने दाम, बिना परीक्षण के दूध की बिक्री और निगरानी व्यवस्था की कमी ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है।
मनमाने दाम और मिलावट की मिली-जुली मार
दुकानदार अपनी पसंद से रेट तय कर रहे हैं और सस्ता दूध मिलावटी होने की आशंका अधिक पाई जा रही है। गुणवत्ताहीन दूध का सेवन बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों की सेहत पर सीधा खतरा पैदा कर रहा है।
स्थानीय उपभोक्ताओं का कहना है कि महंगे दूध की तुलना में सस्ता दूध लेने की मजबूरी में वे मिलावट का जोखिम झेल रहे हैं।
खाद्य विभाग की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल
दूध की रूटीन जांच और सैंपलिंग का अभाव सबसे बड़ी समस्या बन गया है। शहर में डेयरियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, परंतु गुणवत्ता जांच के नाम पर विभाग कहीं सक्रिय दिखाई नहीं देता।
नागरिकों का आरोप है कि पिछले कई महीनों से न तो कोई सैंपल लिया गया और न ही किसी डेयरी संचालक पर कार्रवाई हुई, जिससे मिलावटखोरों के हौसले बढ़ रहे हैं।
खुला दूध—सबसे बड़ा जोखिम
खुले दूध में मिलावट की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। निभाई जा रही ढील का फायदा उठाकर कई डेयरियां बिना लाइसेंस और बिना किसी मानक के दूध बेच रही हैं। दूध की शुद्धता पर कोई प्रमाणित रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने से उपभोक्ता पूरी तरह अनिश्चितता के बीच हैं।
प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग-
शहरवासी प्रशासन और खाद्य विभाग से मांग कर रहे हैं कि—
नियमित सैंपलिंग की जाए
खुले दूध की बिक्री पर नियंत्रण स्थापित किया जाए
लाइसेंस और गुणवत्ता प्रमाणन अनिवार्य किया जाए
मिलावट करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो
लोग उम्मीद जता रहे हैं कि विभाग तत्काल जिम्मेदारी निभाए और बढ़ती मिलावट पर लगाम लगाए
Disclaimer
यह समाचार स्थानीय स्रोतों और प्राप्त शिकायतों पर आधारित है। वेबसाइट किसी भी तथ्य की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करती। सभी आरोप या दावे संबंधित विभागीय जांच के अधीन माने जाएँ।
