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देवनगर की जनता की जीत: अब प्रशासन के सामने 15 दिन की चुनौती!

“क्या कभी किसी गाँव की खामोशी ने प्रशासन को हिला दिया है? क्या सिर्फ जनता की एकजुट आवाज़ से महीनों से बंद पड़ी ज़िंदगी फिर पटरी पर आ सकती है? और क्या 15 दिन बाद देवनगर में फिर से रणभेरी बजेगी? आज की यह कहानी सिर्फ एक आंदोलन की नहीं… यह अपनी हक़ की लड़ाई जीतने वाले लोगों की ताकत की कहानी है।”


रिपोर्ट: कृष्ण कांत सोनी/ न्यूज सोर्स: अनिकेत पटेल

 देवनगर में दो महीने से ‘स्वास्थ्य संकट’

ढाई महीने… जी हाँ, पूरे ढाई महीने से देवनगर और आसपास के गाँव एक भयानक स्वास्थ्य संकट से परेशान थे। डॉक्टर नहीं… आपातकालीन सेवा नहीं… एम्बुलेंस नहीं… और नतीजा—गंभीर मरीजों के लिए हर पल जैसे मौत का इंतज़ार। लेकिन आज तस्वीर बदल गई है। और ये बदलाव किसी चमत्कार से नहीं, बल्कि गाँव वालों की शांतिपूर्ण लेकिन ज़बरदस्त एकजुटता से आया है।

डॉक्टर की तत्काल नियुक्ति—सबसे बड़ी जीत

आंदोलन शुरू हुआ… प्रशासन मौके पर पहुँचा… और सबसे बड़ी राहत तुरंत मिल गई।


डॉ. तनु बंसल की तत्काल नियुक्ति

जैसे ही यह घोषणा की गई, ग्रामीणों के चेहरों पर राहत साफ दिखाई दे रही थी। महीनों की तकलीफ खत्म होने की पहली किरण… आज आखिरकार दिखी।।लेकिन सवाल यह है—क्या सिर्फ डॉक्टर आ जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी हो जाएगी?


15 दिन का अल्टीमेटम—क्या वादे पूरे होंगे?

ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) ने गाँव वालों को साफ-साफ कह दिया है कि बाकी सभी सुविधाएँ 15 दिनों के भीतर पूरी कर दी जाएँगी। अब ज़रा सुनिए कौन-कौन सी ज़रूरी मांगें अगले 15 दिनों में ज़मीन पर उतरनी हैं:

  • 24×7 एम्बुलेंस सेवा
  • नर्स, ANM, वार्ड बॉय जैसे नियमित स्टाफ की नियुक्ति
  • दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता
  • गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों के लिए निःशुल्क भोजन व्यवस्था
  • सम्मानजनक व्यवहार की गारंटी 
  • और… पिछले महीनों में हुई मौतों के परिवारों को सहायता

ये मांगें सिर्फ कागज़ पर नहीं… जिंदगी बचाने की नींव हैं। ग्रामीणों की चेतावनी—“अगर वादा टूटा, तो आंदोलन और बड़ा होगा” गाँव वालों ने आंदोलन रोक तो दिया है, लेकिन एक सख्त संदेश के साथ: “15 दिनों में अगर एम्बुलेंस और बाकी सुविधाएँ नहीं मिलीं, तो आंदोलन पहले से भी बड़ा होगा।”।क्या प्रशासन यह चेतावनी समझेगा? क्या 15 दिन बाद देवनगर में राहत होगी… या फिर चिंगारी दुबारा भड़केगी?

शांतिपूर्ण आंदोलन—जनता की ताकत का उदाहरण

आज का आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण, अनुशासित और कानूनी तरीके से हुआ। देवनगर ही नहीं, कई आस-पास के गाँवों ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। यह सिर्फ विरोध नहीं था… यह एक संदेश था, जब जनता अपनी हक़ की लड़ाई ईमानदारी और एकजुटता से लड़ती है, तो प्रशासन को झुकना ही पड़ता है।


अंत में... क्या ये 15 दिन देवनगर की तस्वीर बदल देंगे?

क्या ग्रामीणों को आखिरकार वह स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी जिसकी उन्हें सालों से ज़रूरत है? और क्या यह सफलता पूरे जिले के लिए एक मिसाल बनेगी ! जवाब 15 दिन बाद सामने होगा… और हम आपको हर अपडेट सबसे पहले देंगे। धन्यवाद।


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