आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता और एएनएम जुटीं, 0 से 5 वर्ष के बच्चों वाले घरों में किया जा रहा सर्वे
बालाघाट।
छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में कफ सिरप के उपयोग से बच्चों की मौत होने की घटनाओं के बाद बालाघाट जिले में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है। संभावित खतरे को देखते हुए जिले में कफ सिरप से संबंधित जांच और घर-घर सर्वे अभियान प्रारंभ कर दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के मेडिकल स्टोर्स एवं दवा विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों की जांच की गई। जांच के दौरान श्रीसन कंपनी के कफ सिरप एवं अन्य दवाओं को संदेह के आधार पर सीज कर लिया गया है। इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से गांव-गांव और घर-घर जाकर सर्वे अभियान शुरू किया है।संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास जबलपुर के निर्देश पर बालाघाट जिले में यह अभियान चलाया जा रहा है। इस सर्वे में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता और एएनएम मिलकर उन घरों तक पहुंच रही हैं, जहां 0 से 5 वर्ष तक के छोटे बच्चे हैं। सर्वे के दौरान परिवारों से यह जानकारी ली जा रही है कि उन्होंने अपने बच्चों को कोई कफ सिरप, विशेषकर कोल्ड्रिफ या अन्य ब्रांड का सिरप, दिया है या नहीं। यदि दिया है, तो बच्चों के स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति की जानकारी भी ली जा रही है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती दीपमाला मंगोदिया ने बताया कि सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस सर्वे को पूर्ण गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ कराएं। कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि वे कफ सिरप की बची हुई बोतलें देखें और उसकी कंपनी एवं बैच नंबर की जानकारी दर्ज करें। साथ ही, किसी भी बच्चे में असामान्य स्वास्थ्य लक्षण पाए जाने पर तत्काल स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया जाए।
इस सर्वे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिले में किसी भी परिवार द्वारा संदिग्ध कफ सिरप का उपयोग न किया जाए तथा बच्चों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे। विभागों की संयुक्त टीम लगातार फील्ड में सक्रिय है और सर्वे रिपोर्ट प्रतिदिन जिला मुख्यालय को भेजी जा रही है ।
बालाघाट जिला ब्युरो प्रहलाद गजभिये
अभयवाणी न्यूज