उपेंद्र गौतम रायसेन।प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायसेन में नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए आयोजित दीक्षारंभ समारोह गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम ने विद्यार्थियों के शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान किया।कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरक गीत "हम होंगे कामयाब" से हुई, जिसे डॉ. राखी सोनी एवं डॉ. संतोषी कैथल ने प्रस्तुत किया। वहीं रूपाली साहू द्वारा की गई सरस्वती वंदना ने समारोह को आध्यात्मिक वातावरण से भर दिया।समारोह में मुख्य अतिथि मनोज कुशवाह का स्वागत प्राचार्य डॉ. किशोर जॉन ने किया। इस अवसर पर प्रवेश प्रभारी डॉ. इशरत खान ने महाविद्यालय की विशेषताओं, शैक्षणिक गतिविधियों, सुविधाओं, छात्रवृत्ति योजनाओं एवं दस्तावेज़ों के समुचित प्रस्तुतिकरण की जानकारी दी।कार्यक्रम का संचालन जी.एस. कुर्वेती ने किया, जिन्होंने सभी विभागाध्यक्षों और शिक्षकों का परिचय विद्यार्थियों से करवाया। इस दौरान विभिन्न विभागों के स्टाफ—वाणिज्य, समाजशास्त्र, विधि, विज्ञान, गणित, कंप्यूटर, पुस्तकालय आदि—ने विद्यार्थियों से संवाद किया।उद्योगोन्मुख पाठ्यक्रमों की जानकारी डॉ. सचिन कुमार ने फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग एवं BFSI कोर्स की जानकारी दी, जबकि डॉ. संतोष दाखले ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति आधारित पाठ्यक्रमों की विशेषताओं को प्रभावशाली प्रजेंटेशन द्वारा स्पष्ट किया। छात्रवृत्ति योजनाओं पर डॉ. दीपक मीणा और गांव की बेटी योजना पर डॉ. वंदना श्रीवास्तव ने जानकारी साझा की।मुख्य अतिथि का प्रेरणादायी संदेशमुख्य अतिथि मनोज कुशवाह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में विद्यार्थियों को राष्ट्र निर्माण की धुरी बताते हुए अनुशासन, सतत अध्ययन एवं गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को रेखांकित किया।प्राचार्य का संदेश और आश्वासन कार्यक्रम के समापन पर प्राचार्य डॉ. किशोर जॉन ने विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए बताया कि महाविद्यालय में AEDP, फार्मा एवं BFSI जैसे रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं, जिनमें विद्यार्थियों को ₹8000 से ₹10,000 तक स्टाइपेंड प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि महाविद्यालय की पूरी फैकल्टी विद्यार्थियों को हर स्तर पर सहयोग प्रदान करेगी।यह समारोह न केवल औपचारिक दीक्षारंभ रहा, बल्कि विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा, मार्गदर्शन और आत्मविश्वास का स्रोत भी सिद्ध हुआ।