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सहारनपुर/लखनऊ। आयुष्मान भारत योजना के पैनल में शामिल सहारनपुर के Pegasus Hospital पर मरीज से जबरन वसूली और योजना का लाभ न देने का मामला सामने आने के बाद अब Ayushman UP (PMJAY-UP) ने आधिकारिक प्रतिक्रिया दे दी है। विभाग ने शिकायत को संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई का भरोसा दिया है।
✔ Ayushman UP ने क्या कहा?
पीड़ित जुबेर द्वारा ट्विटर/X पर शिकायत टैग करने के बाद PMJAY-UP के आधिकारिक हैंडल ने लिखा:
> “महोदय, आपकी शिकायत को संज्ञान में ले लिया गया है, और जांच के उपरांत नियम अनुसार कार्यवाही की जाएगी।”
यानी अब यह मामला औपचारिक रूप से स्टेट हेल्थ एजेंसी (SHA) – उत्तर प्रदेश की जांच के दायरे में आ गया है।
क्या है पूरा मामला?
ग्राम घाटमपुर, जिला सहारनपुर के निवासी जुबेर ने बताया कि उनकी माता श्रीमती शबनम को 5 नवम्बर 2025 को गंभीर हालत में Pegasus Hospital, Saharanpur में भर्ती कराया गया था, जो आयुष्मान योजना के पैनल पर सूचीबद्ध है।
भर्ती के समय इलाज का अनुमानित खर्च ₹3,00,000 बताया गया।
आयुष्मान कार्ड दिखाने पर डॉक्टर ने फाइल फेंक दी और कहा—
“यहाँ आयुष्मान कार्ड नहीं चलता, मरीज बचाना है तो नकद जमा करो।”
मजबूरी में परिवार ने ₹2,40,000 नकद जमा करवाए।
9 नवंबर को मरीज की हालत बिगड़ी तो अस्पताल ने रेफर कर दिया।
जुबेर अपनी मां को Chaudhary Devi Lal PGI, Chandigarh ले गए।
7 नवम्बर को आयुष्मान हेल्पलाइन पर शिकायत नं. 74585 दर्ज की गई थी, पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई — इसके बाद ही उपयोगकर्ता ने Open शिकायत X/Twitter पर डाली।
योजना के नियमों का सीधा उल्लंघन
आयुष्मान भारत PM-JAY के अनुसार:
सूचीबद्ध अस्पताल कैशलेस इलाज देने के लिए बाध्य हैं।
किसी भी परिस्थिति में मरीज से नकद मांगना अपराध है।
फाइल फेंकना या अपमानजनक व्यवहार गंभीर प्रोफेशनल मिसकंडक्ट माना जाता है।
इसलिए Pegasus Hospital के खिलाफ शिकायत बेहद गंभीर श्रेणी में आती है।
पीड़ित की मांगें
1. Pegasus Hospital की उच्च स्तरीय जांच।
2. जबरन वसूले गए ₹2,40,000 वापस कराए जाएँ।
3. हेल्पलाइन शिकायत 74585 पर त्वरित कार्रवाई हो।
4. दोषी डॉक्टरों व अस्पताल प्रबंधन पर कड़ी सजा दी जाए।
अब क्या होगा?
Ayushman UP के जवाब के बाद:
केस आधिकारिक रूप से SHA-Uttar Pradesh की जांच प्रक्रिया में प्रवेश कर चुका है।
नियम अनुसार अस्पताल पर जुर्माना, पैनल से निलंबन या डीलिस्टिंग तक की कार्रवाई संभव है।
पीड़ित को वसूली गई रकम की रिफंड प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।


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