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बाल विवाह पर रोक लगाने प्रशासन ने तेज किया जनजागरूकता मुहिम

बालाघाट
विवाह रोकथाम के लिए निरंतर चलाया जा रहा जागरूकता अभियान

लांजी, किरनापुर, बिरसा व वारासिवनी के दूरस्‍थ क्षेत्रों में हुआ जागरूकता कार्यशाला का आयोजन 
    
      कलेक्टर श्री मृणाल मीना एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती दीपमाला सोलंकी के मार्गदर्शन में वन स्टॉप सेंटर बालाघाट की प्रशासक सुश्री रचना चौधरी द्वारा भारत सरकार की मिशन शक्ति योजना के तहत संचालित हब फॉर एंपावरमेंट ऑफ वुमेन एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत निरंतर जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।

इसी क्रम में 29 अक्टूबर 2025 को लांजी, बिरसा, वारासिवनी एवं किरनापुर विकासखंडों के दूरस्थ ग्रामों में कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। इनमें ग्राम बोदरा, खुरसीटोला, सुलसुली (लांजी), एकीकृत माध्यमिक शाला जगला (बिरसा), आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक 01 ग्राम अंसेरा (वारासिवनी) तथा न्यू बांबे कंदरा (किरनापुर) शामिल रहे। कार्यशालाओं में महिला एवं बच्चों से संबंधित कानूनों की विस्तृत जानकारी दी गई।
बाल विवाह रोकने का किया गया आग्रह
देव उठनी ग्यारस (02 नवंबर 2025) के अवसर पर बाल विवाह की संभावना को ध्यान में रखते हुए कार्यशालाओं में जनसमुदाय, धार्मिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों एवं ग्राम पंचायतों से अपील की गई कि वे बाल विवाह न करें और न होने दें। लोगों को बताया गया कि बाल विवाह से न केवल बालिकाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ता है, बल्कि यह कानूनन अपराध भी है।

कानूनी जानकारी दी गई
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कार्यशाला में बताया गया कि —
18 वर्ष से कम आयु की लड़की अथवा 21 वर्ष से कम आयु के लड़के का विवाह किया जाता है तो इसे बाल विवाह कहा जाता है।

बाल विवाह को निरस्त करने के लिए जिला न्यायालय में अर्जी दायर की जा सकती है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 63 के अनुसार, यदि कोई पुरुष अपनी 18 वर्ष से कम आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाता है, तो यह बलात्कार की श्रेणी में आता है, जो कानूनन दंडनीय अपराध है।
बाल विवाह की शिकायत पुलिस, बाल कल्याण समिति, सी.एम.पी.ओ., चाइल्डलाइन 1098 अथवा किसी मान्यता प्राप्त एनजीओ में दी जा सकती है।
यह अपराध संज्ञेय एवं गैर-जमानती है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह कराने पर दो वर्ष तक का कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

प्रशासक रचना चौधरी ने किया आह्वान
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वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक सुश्री रचना चौधरी ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि बाल विवाह समाज की प्रगति के लिए बाधक है। इससे न केवल बालिकाओं का बचपन छिनता है, बल्कि उनके भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की किसी भी सूचना को तुरंत 1098 (चाइल्डलाइन) या स्थानीय प्रशासन को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।
कार्यशालाओं में बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएँ,

 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षिकाएँ, छात्राएँ तथा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी ने बाल विवाह के खिलाफ समाज में जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया।

समापन अपील
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प्रशासन ने जिलेवासियों से अपील की है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी निभाए। अपने आसपास बाल विवाह की कोई भी सूचना तुरंत प्रशासन, पुलिस या हेल्पलाइन 1098 पर दें।
आइए, मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जहाँ हर बालिका को शिक्षा, समान अधिकार और सुरक्षित भविष्य प्राप्त हो।

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