रायसेन, 18 जुलाई 2025: एक ओर जहाँ सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर इस योजना को किसानों तक पहुँचाने का जिम्मा संभाल रहे कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) खुद सवालों के घेरे में हैं। आज रायसेन में हुई एक 'प्रशिक्षण' बैठक में सामने आई हकीकत ने CSC की जमीनी स्तर पर विफलता की पोल खोल दी है।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग और जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों ने भले ही CSC संचालकों को PMFBY के लिए प्रशिक्षित करने की बात कही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि यह महज एक खोखला दिखावा है। सूत्रों के अनुसार, इस महत्वपूर्ण बैठक में मात्र 10-15 VLE (ग्राम स्तरीय उद्यमी) ही उपस्थित थे, जो जिले में CSC की दयनीय स्थिति को दर्शाता है।
किसानों को CSC के कारण दर-दर भटकना पड़ रहा है। फसल बीमा की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 नजदीक है, लेकिन कई CSC केंद्रों पर या तो काम नहीं हो रहा या संचालकों को प्रक्रिया की पूरी जानकारी नहीं है। किसान शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिल रहा, जिससे उनके आवेदन अटक रहे हैं और वे बीमा कराने से वंचित हो रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि CSC योजनाओं को लागू करने में बुरी तरह फेल हो रही है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि CSC की स्थापना को 10 साल से अधिक का समय हो चुका है, फिर भी केंद्र संचालकों को 'प्रशिक्षण' की जरूरत पड़ रही है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या इतने सालों में भी ये संचालक अपना कार्य ठीक से नहीं सीख पाए, या फिर ये प्रशिक्षण केवल कागजी खानापूर्ति हैं? यह स्थिति सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सरकार की सभी योजनाएं इसी तरह खोखली हैं, जिनका क्रियान्वयन केवल कागजों पर ही होता है और जमीनी स्तर पर किसान परेशान होते रहते हैं?