रायसेन, सांची जनपद पंचायत की एक ग्राम पंचायत में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है, जहां पंचायत सचिव द्वारा स्वयं एक नकली बिल बुक छपवाकर संबंधित व्यक्ति के खाते में भुगतान किए जाने का सनसनीखेज मामला उजागर हो सकता है है। निष्पक्ष जांच की जाए तो कई नाम सामने आ सकते है कि इन संदिग्ध बिलों का भुगतान जनपद कार्यालय से आसानी से कर दिया गया, जिससे इस बात की आशंका गहराने लगी है कि इसमें तत्कालीन जनपद सीईओ और जनपद के अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, सचिव द्वारा प्रस्तुत किए गए बिलों की सत्यता की कभी जांच नहीं की गई। जिस दुकान के नाम पर भुगतान हुआ, उसकी वास्तविकता तक पता नहीं की गई – क्या वह दुकान अस्तित्व में भी है या नहीं, इस पर किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। यही नहीं, बिलों के सीरियल नंबर भी पूरी तरह क्रमवार हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह बिल बुक सुनियोजित तरीके से तैयार की गई है।
गंभीर बात यह है कि कुछ मामलों में तो बिल बुक की मात्र फोटो कॉपी लगाकर भुगतान कर लिया गया है। यह दर्शाता है कि दस्तावेजों की पड़ताल बिना किसी सत्यापन के की गई और अधिकारियों ने आंखें मूंद लीं।
अब सवाल उठता है कि आखिर पंचायत सचिव की इस करतूत में जनपद के उच्चाधिकारियों ने क्यों आंखें मूंद लीं? क्या यह सारा खेल किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा है?
जनता और जिम्मेदारों से सवाल:
क्या जनपद स्तर पर बिलों के सत्यापन की कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं है?
क्या ग्राम पंचायतों में ऐसे मामलों की जांच के लिए जिला प्रशासन कोई सख्त कदम उठाएगा?
क्या इस मामले में एफआईआर दर्ज कर दोषियों पर कार्यवाही होगी या फिर यह भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
जनता मांग कर रही है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच हो और दोषी चाहे वह सचिव हो या जनपद का कोई अधिकारी, सभी पर कड़ी कार्यवाही हो।
यह मामला सिर्फ वित्तीय गड़बड़ी का नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका आईना भी है।
इनका कहना है
आपके द्वारा यह मामला मेरे संज्ञान में आया है मगर इस पर में कुछ बोलने के लिए ऑथराइज नहीं हूं आपकी
लिखित शिकायत पर में दो दिवस में जांच करा के अवगत कराता हूं
शंकरलाल पांसे नवागत जनपद सांची सीईओ