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बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत लांजी व खैरलांजी में जागरूकता की नई पहल, कई ग्रामों में आयोजित हुए विस्तृत शिविर — विद्यार्थियों व ग्रामीणों ने ली बाल विवाह उन्मूलन की सामूहिक शपथ

बालाघाट
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत बालाघाट जिले में सामाजिक जागरूकता को मजबूत करने तथा बाल विवाह की कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने हेतु 27 नवंबर 2025 से 8 मार्च 2026 तक 100 दिवसीय इंटेंसिव थीम आधारित अभियान चलाया जा रहा है।
 इसी श्रृंखला में जिले के विभिन्न विकासखंडों—लांजी, परसवाड़ा एवं खैरलांजी—के ग्रामों में व्यापक जनजागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं ग्रामीणजन शामिल हुए।
इस जागरूकता अभियान का संचालन कलेक्टर श्री मृणाल मीणा एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती दीपमाला मंगोलिया के निर्देशन में किया गया। जिला स्तर पर महिला सुरक्षा, संरक्षण एवं परामर्श सेवाएँ संचालित करने वाले वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक श्रीमती रचना चौधरी ने स्वयं विभिन्न कार्यक्रम स्थलों पर पहुंचकर शिविरों का मार्गदर्शन किया।
अभियान के अंतर्गत विकासखंड लांजी के ग्राम पंचायत खंडपारी, विकासखंड परसवाड़ा के सांदीपनी विद्यालय और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भिड़ी में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं विकासखंड खैरलांजी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घुबढ़गोंदी में भी छात्रों और ग्रामीणों को बाल विवाह के सामाजिक और कानूनी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई।

     👉     अधिनियम की जानकारी और कानूनी प्रावधानों  को विस्तार से समझाया गया ।

शिविर के दौरान बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के सभी प्रमुख बिंदुओं की गहन जानकारी दी गई। बताया गया कि—
बाल विवाह कराना, करवाना, उसका समर्थन करना या उसमें भाग लेना दंडनीय अपराध है।
दोषी पाए जाने पर 2 वर्ष तक का कारावास एवं ₹1 लाख तक के अर्थदंड का प्रावधान है।
अधिनियम में नाबालिग बालिका या बालक की सुरक्षा, विवाह निरस्तीकरण, भरण–पोषण, संरक्षक की जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं।
इस कानून के तहत हर नागरिक—चाहे वह शिक्षक हो, पंचायत प्रतिनिधि, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पड़ोसी या परिवारजन—बाल विवाह रोकने हेतु सूचना देकर कानूनी रूप से अधिकृत और दायित्ववान है।
          👉         कहां करें सूचना?
बाल विवाह की जानकारी तुरंत निम्न संस्थाओं में दी जा सकती है—
1098 चाइल्डलाइन
नज़दीकी पुलिस थाना
जिला बाल संरक्षण इकाई
बाल कल्याण समिति
वन स्टॉप सेंटर
इन सभी संस्थाओं में प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही की जाती है और बच्चे को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाती है।

बाल विवाह के दुष्प्रभावों पर हुई सारगर्भित चर्चा
शिविर में विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को बताया कि बाल विवाह केवल कानूनन अपराध नहीं, बल्कि यह बालिकाओं और बालकों दोनों के भविष्य पर गहरा असर डालता है। कम उम्र में विवाह होने से—
उनकी शिक्षा बाधित होती है,
स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ बढ़ती हैं,
मानसिक व भावनात्मक विकास रुक जाता है,
बालिकाओं पर घरेलू हिंसा और शोषण की आशंका बढ़ जाती है।
साथ ही यह भी समझाया गया कि बाल विवाह गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक पिछड़ेपन को बढ़ावा देता है, जिससे पूरा समाज प्रभावित होता है।

विद्यार्थियों और ग्रामीणों की सक्रिय सहभागिता ।

शिविरों में बड़ी संख्या में उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षकों और ग्रामीणों ने बाल विवाह उन्मूलन के प्रति उत्साहपूर्वक जागरूकता दिखाई। सभी ने सामूहिक रूप से यह शपथ ली कि—
वे अपने गांव में किसी भी प्रकार का बाल विवाह नहीं होने देंगे,
यदि उन्हें किसी भी संभावित बाल विवाह की जानकारी मिलती है तो तुरंत संबंधित विभाग को सूचना देंगे,
अपने परिवार और समाज को इस कुप्रथा से दूर रखने में सहयोग करेंगे।
    👉      अभियान को मिल रही सफलता की दिशा
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित यह अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता का मजबूत वातावरण निर्मित कर रहा है। लगातार आयोजित किए जा रहे ऐसे कार्यक्रमों से लोगों की सोच में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है और बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।

इस प्रकार, लांजी, परसवाड़ा और खैरलांजी विकासखंडों में आयोजित इन जागरूकता शिविरों ने न केवल कानून की जानकारी दी, बल्कि बाल विवाह के सामाजिक व मानसिक परिणामों को भी स्पष्ट करते हुए लोगों को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
                   क्राइम रिपोर्टर प्रताप गेडाम
                              अभयवाणी न्यूज

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