10 दिसंबर 2025, बुधवार का वो सच था जो रायसेन जिले की सिलवानी तहसील के ग्राम सियरमऊ के सरस्वती शिशु मंदिर और बिरसा मुंडा जनजाति बालक छात्रावास में हर आने वाला देखकर दंग रह गया। सवाल ये है कि भला इतने बड़े फाउंडेशन की नजर इस छोटे से गाँव के स्कूल पर कैसे पड़ी? बस में जब पहली बार बच्चे चढ़े तो उनकी आँखों में जो खुशी की चमक थी, वो क्या आप भी महसूस करना चाहते हैं? और जब बस का पूजन हुआ, फूल बरसे, ढोल बजे तो गाँव वाले रो पड़े – आखिर ऐसा नजारा कब देखा था किसी ने? और सबसे बड़ा सवाल… क्या ये बस सिर्फ लोहे-स्टील की गाड़ी है या आने वाले सैकड़ों बच्चों के सपनों का पहिया?सुबह से ही स्कूल परिसर में जैसे मेला लग गया था। लाल-पीले गुब्बारे, रंग-बिरंगी झंडियाँ, फूलों की लड़ियाँ और बीच में वो चमचमाती बस जो मानो कह रही हो – “अब पैदल नहीं चलना पड़ेगा मेरे बच्चों को!” स्वर्गीय प्रीति शिक्षा समिति सियरमऊ द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर और बिरसा मुंडा जनजाति बालक छात्रावास ने अवादा फाउंडेशन द्वारा दान में मिली इस बस के स्वागत में “अभिनन्दन समारोह” का भव्य आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता की समाजसेवी और अमेरिका से सेवानिवृत्त चार्टर्ड अकाउंटेंट विजय अग्रवाल ने। मुख्य अतिथि के रूप में अवादा फाउंडेशन की निदेशक ऋतु पटवारी खुद पधारीं और बच्चों के बीच घूम-घूमकर सबको गले लगाया। अवादा फाउंडेशन की निदेशक ऋतु पटवारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा मैं आज यहाँ कोई बड़ा भाषण देने नहीं आई हूँ… मैं तो बस अपने इन नन्हे-मुन्नों भाइयों-बहनों से मिलने आई हूँ। जब मैंने इन बच्चों को बस की चाबी पकड़ाते वक्त उनकी आँखों में वो चमक देखी, तो लगा कि आज असली दिवाली यहीं मन रही है। अवादा फाउंडेशन का सिर्फ एक ही सपना है कि गाँव का आखिरी बच्चा भी अच्छी शिक्षा पाए। और अगर उस सपने के रास्ते में दस किलोमीटर की धूल भरी सड़क आ रही है, तो हम सड़क नहीं बदलते… सीधे बस भेज देते हैं! ये बस कोई लोहे-पत्थर की गाड़ी नहीं है, ये उन सैकड़ों बच्चों के रुके हुए सपनों का पहिया है जो अब तेजी से दौड़ेगा। रायसेन में ये हमारी पहली बस नहीं है, पहले भी रायसेन में बस दे चुके हैं… और मैं वादा करती हूँ, ये आखिरी भी नहीं होगी! विशेष अतिथियों में जिला पंचायत सदस्य राकेश उइके, भाजपा जिला उपाध्यक्ष दीपक सिंह रघुवंशी, जगदीश प्रसाद विश्वकर्मा समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने मंच से अवादा फाउंडेशन की जमकर सराहना की। साथ ही इस दौरान रूप सिंह लोहने जनजाति शिक्षा प्रांत प्रमुख की भी गरिमामय उपस्थिति रही! राकेश उइके ने कहा, “ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई का सबसे बड़ा रोड़ा दूरी है, आज ये बस उस रोड़े को हटा रही है।” दीपक सिंह रघुवंशी ने तो यहाँ तक कहा, “ये बस नहीं, बच्चों के भविष्य का इंजन है।” जगदीश प्रसाद विश्वकर्मा ने फाउंडेशन को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे काम से समाज में नई उम्मीद जागती है। बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। कोई बस के पास फोटो खिंचवा रहा था, कोई सीट पर बैठकर कल्पना कर रहा था कि अब रोज सुबह मम्मी-पापा को उठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बस खुद दरवाजे पर आएगी। बस का विधिवत पूजन हुआ, नारियल फोड़ा गया, आरती उतारी गई, फिर ऋतु पटवारी ने खुद चाबी विजय अग्रवाल को सौंपी और विजय अग्रवाल ने बच्चों को। उसके बाद बस को हरी झंडी दिखाई गई और पूरी बस में बच्चे “भारत माता की जय” के नारे लगाने लगे। समिति के सचिव अरविंद शुक्ला ने बताया कि इस बस से करीब 80-100 बच्चे रोज लाभान्वित होंगे, खासकर बच्चे जो 10-12 किलोमीटर दूर गाँवों से आते हैं। अब बारिश हो या धूप, उनकी पढ़ाई नहीं रुकेगी। कार्यक्रम में प्रतिवेदन अरविंद शुक्ला और आभार दीनबंधु तिवारी ने व्यक्त किया। पूरा आयोजन इतना भावुक था कि कई अभिभावक आँखें पोंछते नजर आए। इस खुशी के गवाह बने सुभाष खरे, लखनलाल साहू, लखनलाल रघुवंशी, नीतेश साहू, शैलेंद्र सिंह राजपूत, उमेश पेतैले, द्वारका प्रसाद राठौर, हुकुम सिंह पटेल, हाकम सिंह, सर्वेश खरे, कृष्णपाल सिंह राजपूत, अरुण कुमार जैन, सीताराम, मयंक लाहौरी, अमित शुक्ला, कांति मिश्रा, राजीश अग्रवाल, कुंती विश्वकर्मा, लखन विश्वकर्मा सहित सैकड़ों ग्रामीण। हर कोई बस को छूकर, फोटो खिंचवाकर मानो ये पल हमेशा के लिए संजो रहा था।

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