कई महीनों से मानदेय नहीं मिला, अतिथि शिक्षकों ने रखी मांग

कई महीनों से मानदेय नहीं मिलने पर अतिथि शिक्षकों ने मण्डला में मांग रखी

अतिथि शिक्षकों का फूटा गुस्सा, जनसुनवाई में पहुंचे—जुलाई 2024 से सितंबर 2025 तक भुगतान लंबित

मण्डला। मण्डला विकासखंड के अंतर्गत सागर संकुल के सभी विद्यालयों में कक्षा तीन में अध्यापन कराने वाले अतिथि शिक्षकों को सितंबर 2025 से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। गंभीर आर्थिक संकट के बीच अतिथि शिक्षक मंगलवार को जनसुनवाई में अपनी व्यथा रखने पहुंचे, लेकिन समय समाप्त हो जाने के कारण उन्हें कलेक्ट्रेट एवं विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय की आवक–जावक शाखा में आवेदन देकर लौटना पड़ा।

अतिथि शिक्षक परिवार मण्डला के जिला अध्यक्ष पी.डी. खैरवार ने आरोप लगाया कि शासन–प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी अतिथि शिक्षकों पर लगातार समस्याएं थोपते आ रहे हैं—कभी मानदेय में देरी, कभी भर्ती प्रक्रिया में विलंब, तो कभी बिना कारण सेवा से पृथक किया जाना। यह न केवल अतिथि शिक्षकों के लिए कष्टदायक है, बल्कि विद्यार्थियों की गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई में भी बाधा बन रहा है।

सूत्रों के अनुसार, सागर संकुल में कक्षा तीन में पढ़ाने वाले दर्जनों अतिथि शिक्षकों का सितंबर 2025 से अब तक का मानदेय लंबित है। चौंकाने वाली बात यह है कि जुलाई 2024 का भुगतान भी शेष है, जिससे शिक्षकों के परिवारों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। अतिथि शिक्षकों ने मांग की है कि जिन विकासखंडों/संकुलों में भुगतान लंबित है, वहां तत्काल आवंटन जारी कर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

यह सर्वविदित है कि अत्यंत कम मानदेय के बावजूद अतिथि शिक्षक वर्षों से ईमानदारी से सेवाएं दे रहे हैं। शासन द्वारा आदेश जारी होने के बाद भी भुगतान में देरी से उन्हें वित्तीय, मानसिक और सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

इस संबंध में मण्डला विकासखंड शिक्षा अधिकारी रंजीत गुप्ता ने बताया कि कक्षा तीन के भुगतान मद (हेड) में अभी आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है। कक्षा एक और दो का आवंटन नियमित रूप से आ रहा है। जैसे ही कक्षा तीन के लिए आवंटन मिलेगा, शेष भुगतान कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जुलाई 2024 का लंबित भुगतान उनके संज्ञान में अभी आया है और इसे शीघ्र निपटाया जाएगा।

> सवाल बरकरार है—जब शिक्षा व्यवस्था का आधार शिक्षक हैं, तो उनके मानदेय में इतनी लंबी देरी क्यों?
जवाब चाहिए, भुगतान चाहिए—और वह भी तुरंत।
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