रायगढ़, महाराष्ट्र।
केंद्रीय जीएसटी विभाग ने रायगढ़ ज़िले में सुपारी की तस्करी करने वाले एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। विभाग ने एक समन्वित कार्रवाई में इंडोनेशिया से अवैध रूप से लाई जा रही सुपारी से भरे 11 ट्रकों को कब्जे में लिया। यह सभी ट्रक मंगलुरु से कोलाड तक RORO रेलवे सेवा के जरिए पहुंचाए गए थे।
जांच में सामने आए तथ्य — 300 किलो सुपारी, कीमत 300 करोड़ रुपये तक
जाँच टीम को ट्रकों में करीब 300 किलोग्राम सुपारी मिली, जिसका बाजार मूल्य लगभग 300 करोड़ रुपये तक आँका गया है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, यह खेप नागपुर में सक्रिय गुटखा और पान मसाला बनाने वाले गिरोहों को पहुंचाई जानी थी।
फर्जी दस्तावेज़ और संदिग्ध कंपनी का उपयोग
तस्करी के लिए जिस जीएसटी पंजीकरण का इस्तेमाल किया गया, वह मंगलुरु की एक फर्म ND Traders के नाम पर था। जांच में पता चला है कि इस फर्म का मालिक आमदनी के मामले में बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आता है और इस स्तर का व्यापार उसके क्षमता क्षेत्र से बाहर है — यानी डॉक्यूमेंट्स का दुरुपयोग होना लगभग तय है।
नेटवर्क का तरीका — विदेश से भारत, फिर पॉलिशिंग और देशभर में सप्लाई
तस्करी के इस नेटवर्क का संचालन कथित तौर पर समीर खान और कादिर खान नाम के दो व्यक्तियों द्वारा किया जा रहा था।
सुपारी इंडोनेशिया से पहले केरल के बंदरगाह पर लाई जाती थी।
वहां से इसे मंगलुरु के गोदामों में भेजा जाता था।
गोदामों में सुपारी की रासायनिक पॉलिशिंग की जाती थी, जिसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ “कैंसरकारी प्रक्रिया” मानते हैं।
इसके बाद ट्रकों में भरकर RORO रेल के माध्यम से रायगढ़ पहुंचाया जाता था।
आगे इसका नेटवर्क नागपुर, विदर्भ और मध्य भारत तक विस्तृत था।
स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा
अधिकारियों के अनुसार, यह सुपारी उपभोग के लिए सुरक्षित नहीं थी। रासायनिक पॉलिशिंग के कारण इसके कैंसर पैदा करने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
भारत के कई राज्यों में पहले भी ऐसी सुपारी पकड़ी जा चुकी है, जिसे बाद में गुटखा/पान मसाला उद्योग में मिलाकर बेचा जाता है।
विभाग सतर्क — FDA और CGST की संयुक्त कार्रवाई
गिरोह के सामने आने के बाद महाराष्ट्र FDA ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि
अवैध रूप से आयातित सुपारी
रसायनयुक्त पॉलिशिंग
फर्जी GST दस्तावेज
और RORO रूट का दुरुपयोग
ये सभी मिलकर बड़े पैमाने पर राजस्व नुकसान और जन-स्वास्थ्य पर खतरा पैदा करते हैं।
केंद्रीय जीएसटी विभाग आने वाले दिनों में इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों और वित्तीय लेनदेन की भी गहराई से जांच करेगा।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण
यह सिर्फ तस्करी नहीं, बल्कि जन-स्वास्थ्य पर सीधा खतरा है।
करोड़ों रुपये की अवैध ट्रेडिंग से सरकारी राजस्व को भारी नुकसान होता।
तस्करी नेटवर्क का दायरा — विदेश → तस्करी → रसायन → रेल → ट्रक → गुटखा उद्योग तक फैला था।
कार्रवाई से स्पष्ट है कि विभागों की संयुक्त कोशिशें ऐसे अपराधों पर बड़ा अंकुश लगा सकती हैं।
एक टिप्पणी भेजें