सांची/ सुल्तानगंज: पारस कान्वेंट हाई स्कूल सुल्तानगंज के 61 छात्र-छात्राओं ने 15 शिक्षकों के साथ मध्यप्रदेश की विश्वप्रसिद्ध धरोहर सांची का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस शिक्षा यात्रा का उद्देश्य बच्चों को भारतीय इतिहास, कला, संस्कृति और बौद्ध वास्तुकला की गहराई से समझ देना था। स्कूल संचालक अनिल जैन ने पूरे भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों को सांची के इतिहास से जुड़ी बेहद रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान कीं, जिससे बच्चों की सीखने की उत्सुकता और भी बढ़ गई।
सांची रायसेन जिले का सबसे चर्चित पर्यटन स्थल है, जिसे प्राचीन समय में “काकनम” नाम से जाना जाता था। यहाँ स्थित महान स्तूप का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा कराया गया था। यह स्तूप न सिर्फ बौद्ध धर्म का प्रतीक है, बल्कि भारतीय शिल्पकला और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण भी है। समय के साथ यह स्थल क्षतिग्रस्त होता गया, लेकिन 1818 में इसकी पुनः खोज के बाद 1912 से 1919 के बीच सावधानीपूर्वक मरम्मत और पुनर्निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया गया, जिससे इसकी प्राचीन भव्यता फिर उभरकर सामने आई।
सांची केवल स्तूपों का स्थल नहीं है, बल्कि इसके शानदार तोरण द्वार दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इन तोरणों पर बुद्ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ, सम्राट अशोक के प्रसंग और बौद्ध प्रतीक बेहद सुंदरता से उकेरे गए हैं। बच्चों के लिए यह दृश्य वास्तव में प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक साबित हुआ।
बच्चों की सुरक्षा और अनुशासन के लिए 15 शिक्षक-शिक्षिकाएं पूरे समय साथ मौजूद रहे। सभी विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रत्येक हिस्से का अवलोकन किया, सवाल पूछे और इस विश्व धरोहर के महत्व को गहराई से समझा।
शैक्षणिक भ्रमण का यह अनुभव बच्चों के लिए जीवनभर याद रहने वाला रहा, जिसने इतिहास और धरोहरों के प्रति उनकी रुचि को और मजबूत किया।

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