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जंगली सुअर के हमले से महिला गम्भीर रूप से घायल सिविल अस्पताल वारासिवनी मे नही मिला समय पर इलाज ।

वारासिवनी
ग्राम आमगांव में जंगली सुअर का जानलेवा हमला 

 सिविल अस्पताल वारासिवनी में नहीं मिला समुचित उपचार, विभागीय अनुपस्थिति से ग्रामीणों में नाराज़गी ।

वारासिवनी क्षेत्रांतर्गत ग्राम आमगांव में बीते दिनों एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। ग्राम निवासी श्रीमती पल्लवी मसकरे सुबह की रोजमर्रा की तरह अपने खेत में कार्य करने गई थीं, तभी अचानक एक जंगली सुअर ने उन पर प्राणघातक हमला कर दिया। हमले में महिला बुरी तरह घायल हो गई और उनके शरीर पर कई गहरी चोटें आईं।

👉   ग्रामीणों ने बचाया, तत्काल अस्पताल पहुँचाया ।
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घटना के समय खेत के आसपास काम कर रहे ग्रामीणों ने उनकी चीख सुनकर तुरंत मौके पर पहुँचकर उन्हें बचाया और परिजनों की मदद से आनन-फानन में सिविल अस्पताल वारासिवनी ले जाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि हमले के समय स्थिति अत्यंत भयावह थी और महिला बेहोशी की हालत में थी।

👉  अस्पताल में लापरवाही के गंभीर आरोप ।
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अस्पताल पहुँचने के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि
• घायल महिला को न समय पर इलाज मिला और न ही बुनियादी सुविधाएँ।

डॉक्टरों ने औपचारिकता के तौर पर बेड तो उपलब्ध करा दिया, लेकिन👇

बेड पर न चादर थी
न तकिया दिया गया ।

👉 लंबे समय तक कोई उपचार शुरू नहीं किया गया ।
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परिजनों का कहना है कि इतने गंभीर हालत में भी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ द्वारा कोई तत्परता नहीं दिखाई गई। ग्रामीणों ने कहा कि घंटों इंतजार करना पड़ा, मगर प्राथमिक उपचार तक समय पर नहीं हुआ, जिससे अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही साफ उजागर होती है।

    👉     वन विभाग और पुलिस प्रशासन का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुँचा ।
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एक अन्य चौंकाने वाली बात यह रही कि घटना की जानकारी मिलने के बावजूद
वन विभाग, पुलिस प्रशासन या स्थानीय राजस्व विभाग का कोई भी अधिकारी अस्पताल नहीं पहुँचा।

ग्रामीणों का कहना है कि जंगली जानवरों के हमले के मामलों में वन विभाग की तत्काल जिम्मेदारी बनती है, लेकिन यहाँ न कोई कार्यवाही शुरू हुई और न ही कोई कर्मचारी जानकारी लेने पहुँचा।

👉   जंगल क्षेत्र में बढ़ते जंगली सूअर – ग्रामीण भयभीत ।
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ग्राम आमगांव सहित वारासिवनी के कई क्षेत्रों में बीते महीनों में जंगली सूअरों की संख्या बढ़ने से ग्रामीणों में पहले से ही भय का माहौल है। किसानों का कहना है कि
रात के समय फसलें नष्ट हो रही हैं ।

दिन में भी खेतों में अकेले जाना जोखिमपूर्ण हो गया है
महिलाओं और बच्चों पर हमलों का खतरा बढ़ गया है
श्रीमती मसकरे पर हुआ हमला इस खतरे को और गंभीर रूप से सामने लाता है।

ग्रामीणों ने उठाए सवाल — यदि अस्पताल और विभाग निष्क्रिय रहे तो हम कहाँ जाएँ?

घटना के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर कई गंभीर सवाल उठाए -
क्या किसी गंभीर हादसे के बाद भी घायल को उचित उपचार नहीं मिलेगा?
क्या वन विभाग केवल औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए है?
यदि इसी तरह लापरवाही रही, तो ग्रामीण, महिला, बच्चें और घायल लोग किसके सहारे जाएँगे?
   👉       ग्रामीणों ने मांग की है कि ।
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अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की जांच हो
जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए
क्षेत्र में जंगली सूअरों के आतंक को नियंत्रित करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए ।
वन विभाग मौके पर गश्त बढ़ाए और त्वरित प्रतिक्रिया दल नियुक्त करे।
    जिला क्राइम रिपोर्टर - प्रताप गेडाम
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