बालाघाट / जिले के लांजी विकासखंड के ग्राम अमेड़ा (पा) की सरिता पति मुकेश नेवारे की किस्मत आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद बदल गई है। आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह की मदद से वह आत्मनिर्भर बन गई है और मशरूम उत्पादन व मुर्गी पालन का व्यवसाय कर हर माह 25 से 30 हजार रुपए की आय अर्जित कर रही है। सरिता ने महिलाओं को चुल्हे चक्की की दुनिया से बाहर निकल कर स्वयं का व्यवसाय कर आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई है।
आजीविका मिशन के अंतर्गत ग्राम अमेड़ा (पा) में दिसंबर 2023 में सांई स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया था। सरिता के आत्मविश्वास और काम की लगन को देखकर उसे इस समूह का अध्यक्ष बनाया गया था। सरिता ने अपने समूह की महिलाओं बचत के लिए प्रेरित किया। इससे समूह के खाते में हर माह एक निश्चित राशि जमा होने लगी। कुछ महिनों के बाद समूह के पास बड़ी रकम जमा हो गई। समूह की महिलाओं का आपसी लेन-देन अच्छा होने पर समूह को 20 हजार रुपए रिवाल्विंग फंड की राशि मिल गई। कुछ दिनों के बाद ग्राम संगठन से जुड़ने पर समूह को सीआईएफ की 1.50 लाख रुपए की राशि प्राप्त हुई। सरिता ने अपने समूह से 50 हजार रुपए ऋण लेकर मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया। सीआईएफ की शेष 01 लाख रुपए की राशि समूह की अन्य सदस्यों ने ऋण के रूप में उठा लिया है।
सरिता ने मशरूम उत्पादन के साथ ही देशी मुर्गी पालन का कार्य भी शुरू किया है। सरिता को उसके काम पति मुकेश का साथ और प्रोत्साहन मिल रहा है। सरिता अपने घर पर ही मशरूम का उत्पादन कर रही है। मशरूम लेने लोग उसके घर पर पहुंच जाते हैं। शेष बची मशरूम महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के आमगांव में बेच दी जाती है । सरिता को अपने इस छोटे से व्यवसाय से हर माह 25 से 30 हजार रुपए की आय हो रही है। इससे वह समूह के ऋण की किश्त जमा करने के साथ ही अपने दो बच्चों को बाहर पढ़ाने में पति की मदद कर रही है। सरिता कहती है कि महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए और अपने सपनों को साकार करना चाहिए। परिवार की महिला सशक्त होगी तो परिवार भी समृद्ध होगा। सरिता कहती है कि यदि वह आजीविका मिशन से नहीं जुड़ती तो उसमें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास नहीं आता। सरिता की सफलता अन्य महिलाओं के लिए उम्मीद की नई किरण बन गई है।



