मजदूर–किसानों को भेदभाव से बचाने हिंद मजदूर किसान पंचायत का बड़ा फैसला

रिपटाघाट में हुई जिला इकाई की बैठक में संगठन विस्तार और संघर्ष की रूपरेखा तय


मण्डला | जिले के संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों और छोटे–बड़े किसानों के साथ हो रहे भेदभाव व शोषण के खिलाफ हिंद मजदूर किसान पंचायत ने निर्णायक कदम उठाने का ऐलान किया है। यह निर्णय शनिवार को रिपटाघाट, नर्मदा तट पर आयोजित जिला इकाई की बैठक में लिया गया।


जिला मीडिया प्रभारी सहजान परस्ते ने बताया कि टीन शेड में संपन्न इस बैठक में मजदूर–किसानों पर हो रहे अत्याचार, शासन–प्रशासन की उदासीनता और संगठन के गांव–गांव तक विस्तार पर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में तय किया गया कि प्रत्येक प्रकरण को चिन्हित कर पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाएगी।


शोषण बढ़ा, प्रशासन असफल: महासचिव


महासचिव पी.डी. खैरवार ने कहा कि जिले में मजदूरों और किसानों का शोषण लगातार बढ़ रहा है, जबकि इसे रोकने में शासन–प्रशासन प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा। पंचायत अब एक–एक मामले को चिन्हित कर समाधान की दिशा में काम करेगी।


हर ग्राम पंचायत तक संगठन


जिला अध्यक्ष बी.डी. विनंजय ने बताया कि संगठन का गठन सभी ग्राम पंचायतों तक किया जा रहा है, ताकि अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंच सुनिश्चित हो सके।

मण्डला ब्लॉक अध्यक्ष कन्हैया पटैल ने कहा कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को उनके वाजिब हक से वंचित न किया जाए—इसी उद्देश्य से पंचायत सक्रिय है।


जरूरत पड़ी तो न्यायालय का सहारा


नारायणगंज ब्लॉक अध्यक्ष अरविंद बैरागी ने प्रशासन की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे मजदूर–किसान पीड़ित हैं। वहीं, कानूनी सलाहकार अधिवक्ता धर्मेंद्र धार्या ने स्पष्ट किया कि आवश्यकता पड़ने पर संगठन मजदूर–किसानों के हित में न्यायालय की शरण लेने से भी पीछे नहीं हटेगा।


बैठक में ये पदाधिकारी रहे मौजूद


नारायणगंज ब्लॉक अध्यक्ष अरविंद बैरागी, नैनपुर ब्लॉक अध्यक्ष आनंद पटैल, बिछिया ब्लॉक अध्यक्ष किशोर तेकाम, उपाध्यक्ष सुमन सिंह तेकाम, सचिव प्रेम सिंह कुलस्ते, खटोला पंचायत अध्यक्ष नंदेश्वर मरावी, घुघरी ब्लॉक अध्यक्ष सरस्वती मरावी, मोहगांव ब्लॉक अध्यक्ष सुनैना धूमकेती, निवास ब्लॉक अध्यक्ष दुलीचंद मार्को सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।


> निष्कर्ष: बैठक में संगठन विस्तार, भेदभाव के मामलों की पहचान और न्याय के लिए संघर्ष को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया गया—जिससे जिले के मजदूरों और किसानों को वास्तविक राहत मिल सके।

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