“सोचिए… एक ऐसा फैसला जो पूरे जिले के विकास का नक्शा बदल सकता है, एक ऐसा मंच जहाँ सत्ता, सिस्टम और समाज—तीनों एक साथ बैठकर ये तय करेंगे कि आने वाले सालों में आपका जिला कैसा दिखेगा… क्या ये आपका जीवन बदल सकता है? क्या आपके गांव, शहर और व्यवसाय पर इसका सीधा असर पड़ेगा?”
रायसेन में 8 दिसंबर को इसी सोच के साथ जिला विकास सलाहकार समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव कर रहे हैं। अब सवाल यह—यह समिति है क्या, इसमें कौन-कौन लोग हैं और इसका असर आपके जीवन पर कैसे पड़ेगा?
सरकार के योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के आदेश पर बनी यह समिति जिले के दीर्घकालीन विकास की ऐसी योजना तैयार करेगी, जिसमें जनता, प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों के सुझाव शामिल होंगे। इसका लक्ष्य है—लोकल स्किल को बढ़ावा, रोजगार के नए अवसर, परंपरागत कारीगरी को राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय पहचान, और जिले के हर क्षेत्र—कृषि, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, पर्यावरण—का संतुलित विकास।
अब जानिए कौन-कौन हैं इस बेहद महत्वपूर्ण समिति में—
- अध्यक्ष: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव
- उपाध्यक्ष: मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री नारायण सिंह पंवार
- सदस्य–सचिव: कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा
इसके अलावा जिले के प्रभावशाली जनप्रतिनिधि भी इस समिति में शामिल हैं—
- केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं विदिशा सांसद शिवराज सिंह चौहान,
- होशंगाबाद सांसद दर्शन सिंह चौधरी,
- स्वास्थ्य राज्यमंत्री व उदयपुरा विधायक नरेंद्र शिवाजी पटेल,
- सांची विधायक प्रभुराम चौधरी,
- भोजपुर विधायक सुरेंद्र पटवा,
- सिलवानी विधायक देवेंद्र पटेल,
- जिला पंचायत अध्यक्ष यशवंत मीणा,
- नगर पालिका अध्यक्ष रायसेन सविता सेन,
- और जिले के सभी जनपद पंचायत अध्यक्ष।
इसके साथ समाजसेवा, व्यापार, कृषि, चिकित्सा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों से 20 नामित प्रतिनिधि जोड़े गए हैं—
रामपाल सिंह राजपूत, राकेश शर्मा, सुरेंद्र तिवारी, पत्रकार सुरेश बिंदुआ, अजय जैन, किसान देवेंद्र वर्मा (लोधी), गोविंद सिंह राजपूत, एस मुनियन, किसान हरिनारायण धाकड़, फार्मासिस्ट बृजेश चतुर्वेदी, किसान राममोहन बघेल, व्यापारी भूपेंद्र वर्मा, किसान विजय शुक्ला, किसान राजेंद्र रघुवंशी, किसान माधोसिंह, शिक्षाविद हेमराज मीणा, व्यापारी रविंद्र विजयवर्गीय, समाजसेवी विपिन भार्गव, किसान पंकज श्रीवास्तव और व्यापारी कुलदीप विश्नोई।
यह समिति जिले की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए “वोकल फॉर लोकल” की भावना के साथ विकास का रोडमैप तैयार करेगी—चाहे वह उद्योग हो, व्यापार हो, खनिज का उपयोग, जल-संरचना का संरक्षण, कृषि की नई तकनीकें, पर्यावरण संरक्षण या रोजगार के नए रास्ते।
अब बड़ा सवाल आपसे—क्या आपको लगता है कि इस तरह की समिति जमीनी बदलाव ला पाएगी? आपका मानना है कि पहले नंबर पर जिले की कौन-सी समस्या का समाधान होना चाहिए?

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