शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक विवाद, यह खतरनाक है : रघुवीर अहरवाल
सिवनी 9 दिसंबर 2025। पिछले दिनों जिले के अरि हॉयर सेकेंडरी स्कूल और जिले के प्राचीन गौरवशाली मिशन हॉयर सेकेंडरी स्कूल में जो धार्मिक विवाद देखने को मिले वे चिंता का विषय हैं। इसके पूर्व भी जिले के कुछ शैक्षणिक संस्थानों में इसी प्रकार के विवाद हुए थे। ये धार्मिक विवाद समाज के लिए खतरनाक हैं।
समाजसेवी रघुवीर अहरवाल ने इतिहास का अध्ययन करते हुए बताया कि जब जब देश में धार्मिक कट्टरता और धार्मिक उन्माद उभरा है देश को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। सम्राट अशोक महान के समय अखंड भारत की जो तस्वीर थी उस पर आज भी प्रत्येक भारतीय को गर्व होता है। सम्राट अशोक ने सभी धर्मों का सम्मान करने का राज्यकीय आदेश दिया था। इसके अनुसार नागरिक अपने धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु इससे दूसरे धर्म के लोगों की भावना को ठेस नहीं लगना चाहिए। बौद्ध कालीन स्थापित विश्वविद्यालय नालंदा, तक्षशीला, औदंतपुरी, अमरावती सहित करीब 80 हजार विद्यालय समानता, सद्भाव, करुणा और मैत्री के महान शिक्षा केंद्र थे। जिनमें उस समय के सभी धर्मों के आचार्य और विद्यार्थी थे। सभी धर्मों की अच्छी बातों का पाठ्यक्रम में समावेश था। सम्राट अशोक महान के द्वारा स्थापित राष्ट्रीय एकता के आधार करीब दो सौ साल तक लागू रहे तब तक भारत अखंड रहा। उसके पश्चात देश धार्मिक उन्माद का शिकार हुआ जिसने देश को गुलाम बनाया और देश के कई टुकड़े हो गए।
इतिहास के विद्यार्थी रघुवीर अहरवाल ने आगे बताया कि शैक्षणिक संस्थानों में सभी जाति और धर्म को बराबरी का स्थान मिलना चाहिए। छात्र छात्राओं को जातिगत और धार्मिक विवादों से दूर रखना चाहिए। अच्छा हो की शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक गतिविधियों को बहुत कम स्थान दिया जाए। इनके स्थान पर अधिक से अधिक खेल और सभी जाति धर्म के शहीदों की प्रेरक कहानियों को स्थान दिया जाए।
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