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संस्थागत प्रसव से घट रही मातृ शिशु दर बालाघाट प्रदेश के अग्रणी जिलो मे शामिल

 बालाघाट
संस्थागत प्रसव से घट रही मातृ एवं शिशु मृत्यु दर
बालाघाट जिले में 99 प्रतिशत से अधिक प्रसव ।

 संस्थागत — स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप बालाघाट जिला संस्थागत प्रसव के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर प्रदेश के अग्रणी जिलों में शामिल हो गया है। जिले में अब लगभग सभी प्रसव स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षित रूप से संपन्न हो रहे हैं।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. परेश उपलप ने जानकारी दी कि जिले में वर्तमान में 58 स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जहाँ प्रशिक्षित चिकित्सा दल 24 घंटे सेवा दे रहे हैं। वर्ष 2025-26 में अक्टूबर माह तक कुल 12,022 प्रसव संपन्न हुए हैं, जिनमें से 11,920 प्रसव संस्थागत रूप से तथा केवल 102 प्रसव घर पर हुए हैं। इस प्रकार जिले में संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 99 प्रतिशत से अधिक दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता और जनजागरूकता का प्रमाण है।

जननी सुरक्षा योजना, 108 एम्बुलेंस और प्रसूति सहायता योजना बनीं आधार स्तंभ

डॉ. उपलप ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में जननी सुरक्षा योजना, संजीवनी एम्बुलेंस-108 सेवा, और प्रसूति सहायता योजना की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इन योजनाओं के माध्यम से गर्भवती माताओं को अस्पताल तक सुरक्षित पहुँचाने, प्रसव के दौरान मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान करने और प्रसवोत्तर देखभाल में सतत सहयोग सुनिश्चित किया जा रहा है।

जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रत्येक पात्र गर्भवती महिला को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे प्रसव हेतु स्वास्थ्य केंद्रों का चयन करें। वहीं, 108 संजीवनी एम्बुलेंस सेवा ने दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से भी माताओं को अस्पताल तक सुरक्षित पहुँचाने में अहम योगदान दिया है।

“हाई रिस्क” गर्भवती माताओं की विशेष निगरानी

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि अप्रैल से सितंबर 2025 के मध्य जिले में कुल 14,923 गर्भवती माताओं का पंजीयन “अनमोल पोर्टल” पर किया गया है। इनमें से 10,234 गर्भवती माताएँ “हाई रिस्क” श्रेणी में चिन्हित की गई हैं।
इन हाई रिस्क माताओं पर विशेष निगरानी रखते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा और एएनएम द्वारा नियमित जांच, परामर्श और दवाइयों की व्यवस्था की जा रही है। प्रत्येक गर्भवती का चार बार से अधिक एएनसी (Ante Natal Checkup) किया जा रहा है तथा जरूरत पड़ने पर उन्हें जिला चिकित्सालय या उच्च संस्थान में रेफर किया जाता है।

सामुदायिक सहभागिता और जनजागरूकता

स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों (वीएचएसएनडी) के माध्यम से भी निरंतर जनजागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों में गर्भवती महिलाओं को पोषण, प्रसव पूर्व जांच, सुरक्षित प्रसव एवं स्तनपान के महत्व की जानकारी दी जा रही है।
साथ ही, आशा कार्यकर्ता प्रत्येक गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव हेतु प्रोत्साहित कर रही हैं तथा प्रसव के पश्चात नवजात शिशु की देखभाल में भी सहायता कर रही हैं।

जिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधाओं में विस्तार

जिले के सभी प्रसूति केंद्रों को आवश्यक उपकरणों, प्रशिक्षित स्टाफ और दवाइयों से सुसज्जित किया गया है। एसएनसीयू (Special Newborn Care Unit) और एनबीएसयू (Newborn Stabilization Unit) में नवजात शिशुओं के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
इन इकाइयों में जन्म के बाद अस्वस्थ या समय से पूर्व जन्मे बच्चों की विशेष निगरानी और उपचार की व्यवस्था है, जिससे शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।

स्वास्थ्य विभाग का संकल्प

डॉ. उपलप ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि —
“हर प्रसव सुरक्षित हो, हर मां और हर नवजात स्वस्थ रहें।”
उन्होंने बताया कि आने वाले समय में विभाग का प्रयास रहेगा कि संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 100 प्रतिशत तक पहुँचे तथा जिले की हर महिला को गुणवत्तापूर्ण मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ समय पर प्राप्त हों।
बालाघाट जिला ब्युरो प्रहलाद गजभिये
      अभयवाणी न्यूज
BALAGHAT

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