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लांजी में सांप काटने से बचाव के लिए जागरूकता शिविर, झाड़-फूंक नहीं इलाज जरूरी – तुरंत अस्पताल ले जाएं मरीज

सर्पदंश के प्रति जागरूकता के लिए लांजी में लगाया गया शिविर


सांप काटने पर तत्‍काल अस्‍पताल पहुंचने की दी गई सलाह


बालाघाट / वर्षा ऋतु के दिनों में सर्पदंश की घटनायें अधिक होती हैं और समय पर उपचार नहीं होने के कारण पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। सर्पदंश के मरीज को तत्काल उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराने पर उसकी जान बचायी जा सकती है। कलेक्‍टर श्री मृणाल मीणा के निर्देश पर सर्पदंश के प्रति जनजागरूकता के लिए सभी तहसीलों में शिविर लगाए जा रहे है। इसी कड़ी में 27 जून को तहसील कार्यालय लांजी के कैंपस में जिला होम गार्ड सेनानी दल द्वारा जागरूकता शिविर का आयोजन किया।


एसडीएम श्री कमलचंद सिंहसार ने बताया कि इस शिविर में तहसीलदार, पटवारी, ग्राम पंचायतों के सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, कोटवार, वन विभाग का अमला एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे। शिविर में सर्पदंश से बचाव के उपाय एवं सावधानी बरतने की जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें तंत्र-मंत्र, झाड़-फूक के चक्कर में पड़ने की बजाय तत्काल निकटतम चिकित्सालय में उपचार के लिए मरीज को ले जाने की सलाह दी गई।


शिविर में बताया गया कि सांप या जहरीले कीड़े के काटने पर पंडा-पुजारी के चक्‍कर में न पड़े व झाड़-फूंक नहीं करायें, बल्कि मरीज को उपचार के लिए तत्काल निकटतम अस्पताल लाने का प्रयास करें। सांप के काटने पर झाड़-फूंक से नहीं बल्कि एंटी स्नैक वैनम से ही मरीज की जान बचायी जा सकती है। जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं दूरस्थ क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटी स्नैक वैनम के इंजेक्शन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है और इसे लगाने के लिए स्टाफ को प्रशिक्षित भी किया गया है। सांप के काटने पर मरीज को जिला चिकित्सालय लाने में समय गंवाने की बजाय निकटतम अस्पताल में लेकर जायें। सांप के काटने पर एंटी स्नैक वैनम ही मरीज की जान बचा सकता है। इसके लिए मरीज को अतिशीघ्र अस्पताल लाना बहुत जरूरी होता है।


शिविर में बताया गया कि सांप के काटने पर करीब-करीब 95 प्रतिशत मामलों में पहला लक्षण नींद का आना है, इसके साथ ही निगलने या सांस लेने में तकलीफ होती है, आमतौर पर सांप काटने पर आधे घंटे बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सांप के काटने पर घाव के आसपास रस्सी न बांधें, ब्लेड से न काटें और पारम्परिक तरीकों का इस्तेमाल न करें और मुंह से खून न चूसें। सांप काटने पर व्यक्ति को दिलासा दें और घटना के तथ्यों का पता लगायें। गीले कपड़े से डंक की जगह की चमड़ी को साफ करें, जिससे वहां पर लगा विष निकल जाये। सांप काटे व्यक्ति को करवट सुलायें, क्योंकि कई बार उल्टी भी होने लगती है, इसलिये करवट सुलाने से उल्टी श्वसन तंत्र में ना जाये। जहां पर सांप ने काटा है उस स्थान पर हल्के कपडे़ से बांध देवें, ताकि हिलना डुलना बंद हो जाये। सर्पदंश से बचाव के लिए अंधेरे में न जायें। बिलों में हाथ न डालें। झाड़ियों में न जायें। पानी भरे गड्ढे में न जायें। पैरों में चप्पल और जूते पहनकर चलें।

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