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रायसेन में अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद व राष्ट्रीय बजरंग दल की जिला बैठक सम्पन्न। नए दायित्वों की घोषणा के साथ संगठन विस्तार पर जोर।

 “रायसेन में संगठनात्मक शक्ति का प्रदर्शन?”

रायसेन में अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद व राष्ट्रीय बजरंग दल की जिला बैठक सम्पन्न। नए दायित्वों की घोषणा के साथ संगठन विस्तार पर जोर। बांग्लादेश की घटनाओं को लेकर शांतिपूर्ण विरोध, पुतला दहन



पहले ही शब्दों में साफ कर दें—यह सिर्फ एक बैठक नहीं थी, यह संगठन की दिशा और संदेश दोनों को स्पष्ट करने वाला आयोजन था। रायसेन जिले में अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद और राष्ट्रीय बजरंग दल की जिला स्तरीय बैठक ने संगठनात्मक अनुशासन, विस्तार और वैचारिक प्रतिबद्धता को केंद्र में रखा।

बैठक में प्रांत महामंत्री संजिव पटेरिया, विभाग अध्यक्ष गोलू मालवीय, विभाग मंत्री संजय खरे और अरविंद खरे की उपस्थिति ने आयोजन को प्रांतीय और विभागीय स्तर पर मजबूती दी। मंच से संगठनात्मक कार्यों की समीक्षा के साथ-साथ आगामी कार्ययोजनाओं पर चर्चा हुई। इसी क्रम में जिले और तहसील स्तर पर नए दायित्वों की घोषणा की गई, जिसे संगठन विस्तार की औपचारिक प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।

घोषित दायित्वों के अनुसार राजेश रघुवंशी को तहसील अध्यक्ष, कमल राजपूत को तहसील सुरक्षा प्रमुख और गौरव तिवारी को सिलवानी नगर अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। साथ ही तहसील बेगमगंज एवं सिलवानी के पदाधिकारियों की भी घोषणा की गई। संगठन सूत्रों के अनुसार, यह नियुक्तियाँ स्थानीय इकाइयों को सक्रिय करने और जमीनी स्तर पर समन्वय बढ़ाने की दिशा में की गई हैं।

बैठक के बाद राष्ट्रीय बजरंग दल की मुख्य कार्यकारिणी के नेतृत्व में बांग्लादेश में हालिया घटनाओं के संदर्भ में पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया गया। आयोजन में वक्ताओं ने मानवीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति व सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने का पूरा ध्यान रखा गया।

कार्यक्रम में मिहीलाल लोधी (जिला अध्यक्ष), हर्ष सिंह (जिला महासचिव) सहित सोनू, पवन, आदर्श, नर्मदा, आज़ाद, बीरेंद्र लोधी, नीलेश राज, जितेंद्र, शीतल देवू समेत सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। उपस्थिति संख्या ने यह संकेत दिया कि संगठन जिले में अपनी गतिविधियों को संरचित ढंग से आगे बढ़ाने के मूड में है। यह आयोजन केवल पद वितरण तक सीमित नहीं था, बल्कि संगठनात्मक अनुशासन, वैचारिक स्पष्टता और कार्यकर्ताओं के मनोबल को एकजुट करने का प्रयास भी था। बिना किसी आरोप-प्रत्यारोप के, सुरक्षित और तथ्यात्मक भाषा में यह संदेश दिया गया कि संगठन अपनी प्रक्रियाओं और कार्यक्रमों को विधिसम्मत और शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ाना चाहता है।


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