सिवनी, संवाददाता।
सिवनी जिले की मेस्को एयर स्पेस हवाई पट्टी को प्रशासन द्वारा सील किए जाने और 50 लाख रुपये की अमानत राशि जब्त होने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल Directorate General of Civil Aviation (DGCA) की भूमिका को लेकर उठ खड़ा हुआ है। लगातार हादसों, सुरक्षा उल्लंघनों और नियमों की खुलेआम अवहेलना के बावजूद DGCA की चुप्पी कई गंभीर शंकाओं को जन्म दे रही है।
तीन हादसे… क्या यह DGCA के मानकों के लिए पर्याप्त नहीं?
सात माह में तीन बार प्रशिक्षु विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए —
30 मई को फाल्ट लैंडिंग,
10 जून को रन-वे से फिसलकर विमान पलटना,
और हालिया घटना, जिसमें ग्रामीणों ने जनहानि की आशंका जताई।
DGCA के नियमों के अनुसार, किसी भी उड़ान प्रशिक्षण संस्था में बार-बार होने वाली घटनाएं “सेफ्टी रेड फ्लैग” मानी जाती हैं। इसके बावजूद न तो रेडबर्ड एविएशन का प्रशिक्षण लाइसेंस रद्द किया गया और न ही सार्वजनिक रूप से कोई सख्त चेतावनी जारी हुई।
घटनाएं छिपाने के आरोप — क्या DGCA को जानकारी नहीं थी?
स्थानीय स्तर पर आरोप लगे कि कुछ हादसों के बाद
क्षतिग्रस्त विमानों को तिरपाल से ढंका गया,
घटनाओं से इनकार किया गया,
और आम नागरिकों के मोबाइल से वीडियो डिलीट कराए गए।
यदि ये आरोप सही हैं, तो यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि नियामकीय प्रक्रिया से बचने की कोशिश है।
प्रश्न यह है कि क्या DGCA को इन तथ्यों की जानकारी थी? और यदि थी, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
आबादी क्षेत्र के ऊपर प्रशिक्षण उड़ान — DGCA की अनुमति किस आधार पर?
DGCA के दिशानिर्देश स्पष्ट हैं कि प्रशिक्षण उड़ानें ऐसी जगह हों जहां नागरिक आबादी को न्यूनतम खतरा हो।
इसके बावजूद सिवनी में प्रशिक्षु विमान रोजाना घनी आबादी के ऊपर उड़ते रहे।
यदि कोई बड़ा हादसा हो जाता, तो
👉 क्या इसकी जिम्मेदारी DGCA स्वीकार करता?
प्रशासन ने सील कर दिया, DGCA अब भी मौन
राज्य शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने हवाई पट्टी को सील कर दिया। यह अपने-आप में संकेत है कि मामला गंभीर था और है।
लेकिन इसके बाद भी DGCA की ओर से
लाइसेंस सस्पेंशन,
सेफ्टी ऑडिट की सार्वजनिक रिपोर्ट,
या जिम्मेदारी तय करने संबंधी कोई बयान सामने नहीं आया।
क्या DGCA केवल हादसे के बाद जागता है?
यह सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि देश में कई बड़े विमान हादसों के बाद ही DGCA की सख्ती देखने को मिली है।
सिवनी मामले में
चेतावनियां पहले थीं,
हादसे पहले हो चुके,
प्रशासनिक कार्रवाई भी हो चुकी —
फिर DGCA की निर्णायक भूमिका अब तक क्यों नहीं दिखी?
DGCA की चुप्पी क्या संदेश दे रही है?
DGCA देश की सर्वोच्च विमानन सुरक्षा नियामक संस्था है।
यदि ऐसी घटनाओं के बाद भी वह खामोश रहती है, तो यह संदेश जाता है कि
छोटे शहरों में नियमों की अनदेखी चल सकती है,
प्रशिक्षण उड़ानों में जोखिम स्वीकार्य है,
और जब तक कोई बड़ी जनहानि न हो, तब तक सख्ती जरूरी नहीं।
अब जवाब जरूरी हैं, चुप्पी नहीं
सिवनी हवाई पट्टी मामला अब
✔ स्थानीय प्रशासन
✔ राज्य शासन
✔ और DGCA — तीनों की परीक्षा बन चुका है।
अब DGCA को स्पष्ट करना होगा कि—
1. क्या वह रेडबर्ड एविएशन के लाइसेंस की समीक्षा करेगा?
2. क्या सिवनी हवाई पट्टी पर सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा?
3. क्या नियम उल्लंघन पर जिम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं पर कार्रवाई होगी?
यदि DGCA अब भी खामोश रहता है, तो यह चुप्पी लापरवाही नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से पलायन मानी जाएगी।
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