माइक्रोचिप तकनीक के जरिए गौ-रक्षा को और मजबूत बनाने का प्रस्ताव
बालाघाट/सिवनी। बालाघाट–सिवनी लोकसभा क्षेत्र की सांसद श्रीमती भारती पारधी ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र के शून्यकाल में देशभर में बढ़ रहे गौ-अत्याचार, अवैध तस्करी और गौ-हत्या के मामलों को गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा कि गौवंश भारतीय संस्कृति, कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है, इसलिए अब इसके संरक्षण में आधुनिक तकनीक को जोड़ना समय की आवश्यकता है।
भावनाओं के साथ विज्ञान— सांसद पारधी का संदेश
सांसद पारधी ने अपने संबोधन में कहा कि केवल भावनात्मक अपील से गौ-हत्या नहीं रुकेगी, इसके लिए वैज्ञानिक तकनीक को अपनाना जरूरी है। उन्होंने ‘माइक्रोचिपिंग’ को गौ-सुरक्षा के लिए एक क्रांतिकारी पहल बताते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने की मांग की।
माइक्रोचिप— गोवंश के लिए अदृश्य सुरक्षा कवच
सांसद ने बताया कि माइक्रोचिप एक छोटी-सी तकनीक है, पर इसका प्रभाव व्यापक है:
यह दिखती नहीं, लेकिन अवैध गतिविधियों पर मजबूत रोक लगाती है।
चिप को न हटाया जा सकता है, न बदला जा सकता है।
जन्म से अंतिम अवस्था तक गोवंश की पहचान सुरक्षित रहती है।
यह नंबर नहीं, बल्कि गाय की सुरक्षा का ‘कवच’ है।
माइक्रोचिप कैसे रोक सकती है गौ-तस्करी व गौ-हत्या?
सांसद पारधी के अनुसार—
चोरी लगभग असंभव, क्योंकि स्कैन करते ही असली पहचान सामने आ जाती है।
गाय किसकी है, कहां से आई, कहां होनी चाहिए— सारी जानकारी तुरंत उपलब्ध।
सीमा चेकपोस्ट पर स्कैनिंग से संदिग्ध परिवहन का तुरंत खुलासा।
स्लॉटर हाउस में चिप यह भी बताती है—
गाय गर्भवती है या नहीं
किस स्थान पर दर्ज है
किस परिस्थिति में वहां पहुंची
माइक्रोचिप नंबर कानूनन अटल प्रमाण होता है, जिसे न नकारा जा सकता है, न बदला जा सकता है।
बालाघाट–सिवनी क्षेत्र की चिंताएं
सांसद ने कहा कि उनका क्षेत्र जंगल, नदियों और पशुधन से भरपूर है। यहां किसान गाय को परिवार का सदस्य मानते हैं। इसके बावजूद सीमावर्ती इलाकों में गौ-तस्करी की घटनाएं चिंता बढ़ाती हैं।
सांसद पारधी की संसद से प्रमुख मांगें
उन्होंने लोकसभा में निम्न कदम तत्काल लागू करने का आग्रह किया—
1. देश में 100% गौवंश माइक्रोचिपिंग अनिवार्य घोषित की जाए।
2. सभी चेकपोस्ट, RTO, पुलिस वाहन, गोशालाएं— हर जगह माइक्रोचिप स्कैनर उपलब्ध कराए जाएं।
3. माइक्रोचिप से छेड़छाड़ करने वालों के लिए कड़े दंड प्रावधान बनाए जाएं।
4. गौशालाओं व पशुपालकों को माइक्रोचिपिंग के लिए मुफ्त प्रशिक्षण और सहायता मिले।
5. हर गाय की डिजिटल प्रोफाइल तैयार कर इसे राष्ट्रीय पोर्टल से जोड़ा जाए।
6. सीमावर्ती जिलों में विशेष निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए ताकि गौ-तस्करी पर सख्त रोक लगे।
क्षेत्र में सराहना
सांसद पारधी की यह पहल क्षेत्र में दूरदर्शी और तकनीक-आधारित कदम के रूप में स्वागत पा रही है। इसे गौ-रक्षा को भविष्य में और अधिक मजबूत बनाने वाली पहल माना जा रहा है।

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