IRCTC का QR कोड–यूनिफॉर्म नियम: प्रीमियम ट्रेनों में सुविधा बढ़ी, लेकिन आम यात्रियों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं
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शताब्दी, तेजस, वंदे भारत और राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनों में ओवरचार्जिंग रोकने के लिए IRCTC ने वेंडरों के लिए नया QR कोड और यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दिया है।
लेकिन यह फैसला फिर एक बार वही सवाल खड़ा करता है—
सरकार सिर्फ अमीर यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा क्यों देख रही है?
क्योंकि सच्चाई यह है कि:
• आम लोग सुपरफास्ट, मेल-एक्सप्रेस और जनरल डिब्बों में बिना किसी सुरक्षा के सफर करते हैं।
• वहाँ वेंडरों की बदसलूकी, ओवरचार्जिंग और जबरन वसूली की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं।
• कुछ समूह यात्रियों को डराकर पैसे वसूलते हैं — पर रेलवे इन घटनाओं पर लगभग खामोश है।
• पुलिस भी अक्सर तलाशी के नाम पर गरीब यात्रियों को ही परेशान करती है।
लेकिन सुधार कहाँ किया गया?
उन ट्रेनों में जहाँ पहले से व्यवस्था अच्छी है और जहाँ संपन्न यात्रियों का आना-जाना ज्यादा है।
बड़ा सवाल
अगर IRCTC की नीयत वाकई कैटरिंग और सुरक्षा सुधारने की है, तो:
जनरल डिब्बों में QR कोड क्यों नहीं?
एक्सप्रेस–सुपरफास्ट में सख्ती क्यों नहीं?
जहाँ असली समस्या है, वहाँ नियम क्यों लागू नहीं किए गए?
स्पष्ट है—
यह कदम भी वही पुरानी नीति दोहराता है:
प्रीमियम ट्रेनों में चमक-दमक बढ़ाओ, बाकी लाखों साधारण यात्रियों की समस्याएँ जैसे-की-तैसी छोड़ दो।
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