किरनापूर
शाउमावि किन्ही में विज्ञान का अनोखा उत्सव‘जादू नहीं, विज्ञान है’ कार्यक्रम ने बच्चों में जगाई वैज्ञानिक सोच
लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के निर्देशन एवं जिला शिक्षा अधिकारी बालाघाट के मार्गदर्शन में 26 नवम्बर को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किन्ही (किरनापुर) में ‘जादू नहीं, विज्ञान है—समझना और समझाना आसान है’ विषयक जागरूकता कार्यक्रम का शानदार एवं शिक्षाप्रद आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विद्यालय में विज्ञान के व्यावहारिक ज्ञान को प्रोत्साहित करने, समाज में व्याप्त अंधविश्वास को दूर करने तथा बच्चों में तार्किक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की महत्वपूर्ण पहल रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत संस्था प्रमुख श्री अर्जुनलाल कोरे द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर एवं सभी अतिथियों के स्वागत के साथ की गई। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि विज्ञान की बुनियाद समझ और प्रयोग पर आधारित है, और ऐसे कार्यक्रम बच्चों के बौद्धिक विकास में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं।
बच्चों द्वारा प्रस्तुत विज्ञान नाटिका कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही। इस नाटिका में छात्रों ने समाज में फैले अंधविश्वासों, टोने-टोटकों, झाड़-फूंक जैसी कुरीतियों पर करारा प्रहार करते हुए यह संदेश दिया कि हर घटना का कारण तर्क, प्रमाण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।
👉 चमत्कारी दिखने वाले वैज्ञानिक प्रयोग
कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने विभिन्न भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तनों को व्यावहारिक ढंग से प्रदर्शित किया।
इन प्रयोगों में—
द्रवों के रंग परिवर्तन
अम्ल-क्षार की प्रतिक्रियाएँ
घनत्व के सिद्धांत
द्रव्यमान संरक्षण
रासायनिक अभिक्रियाओं से उत्पन्न गैसों का प्रभाव
तापीय परिवर्तन आदि
जैसे कई रोचक और जादू जैसे दिखने वाले प्रयोग शामिल थे।
इन प्रयोगों ने बच्चों को यह संदेश दिया कि जो वस्तु लोगों को चमत्कार लगती है, वह वास्तव में विज्ञान का सरल सिद्धांत है।
👉 विज्ञान जागरूकता और अंधविश्वास उन्मूलन
इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य था—
विज्ञान को सरल, सहज और रोचक तरीके से समझाना
बच्चों के मन में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और रुचि विकसित करना ।
👉 समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना
अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र जैसी कुरीतियों को तर्क के माध्यम से चुनौती देना ।
कार्यक्रम के दौरान बच्चों को बताया गया कि वैज्ञानिक सोच अपनाने से न केवल शिक्षा बल्कि जीवन की हर समस्या का समाधान आसानी से किया जा सकता है।
👉 प्रबंधन एवं सहयोग
कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती गीतांजलि दाते (उ.मा.शि.), श्रीमती प्रिया टेंभरे तथा श्रीमती ज्योति भगत द्वारा किया गया।
पूरे कार्यक्रम में विद्यालय का समस्त शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक स्टाफ सक्रिय रूप से उपस्थित रहा और बच्चों को प्रोत्साहित करता रहा।
👉 बच्चों पर कार्यक्रम का प्रभाव
वैज्ञानिक अवधारणाओं की समझ बढ़ी
‘चमत्कार नहीं, विज्ञान’ की भावना मजबूत हुई
प्रयोग करने एवं जांचने की आदत विकसित हुई
अंधविश्वासों पर प्रश्न उठाने का साहस बढ़ा
तार्किक और वैज्ञानिक सोच का विकास हुआ
ऐसे आयोजनों से विद्यालय के साथ-साथ समाज में भी विज्ञान के प्रति नई सोच और सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद जागती है।