नरसिंहपुर, जिले में पर्यावरण, भूमि और वायुमंडल को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से नरवाई (गेहूं के डंठल और फसल अवशेष) जलाने की प्रथा पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिला दंडाधिकारी श्रीमती शीतला पटले ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 223 के तहत यह आदेश जारी किया है। यह आदेश 24 अक्टूबर से आगामी दो माह तक प्रभावी रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान
नरवाई में आग लगाने से कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मिट्टी की उर्वरता कम होना: नरवाई जलाने से भूमि में मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होती है।
- पर्यावरणीय क्षति: इससे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जो वायु प्रदूषण बढ़ाने के साथ पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
- अग्नि दुर्घटनाएं: नरवाई जलाने से हर साल कई अग्नि दुर्घटनाएं होती हैं, जिनसे जन-धन की हानि होती है।
- जल संकट: ग्रीष्मकाल में आग से जल संकट बढ़ता है।
दंड का प्रावधान
नरवाई जलाने पर दंड के तहत क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है:
- 2 एकड़ तक के किसानों को ₹2500 जुर्माना।
- 2 से 5 एकड़ तक के किसानों को ₹5000 जुर्माना।
- 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को ₹15,000 प्रति घटना का अर्थदंड।
वैकल्पिक समाधान अपनाने की अपील
जिला प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे खेत की सफाई के लिए रोटोवेटर और अन्य पर्यावरण-अनुकूल साधनों का उपयोग करें। यह उपाय भूमि की उर्वरता बनाए रखने में सहायक होगा।
कृषि विभाग का सहयोग
उप संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने कहा है कि फसल कटाई के बाद किसानों को जागरूक करने के लिए विभागीय प्रयास जारी हैं। नरवाई जलाने के दुष्प्रभावों के प्रति जनजागरण अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
प्राकृतिक खाद का महत्व
जिला दंडाधिकारी ने कहा कि नरवाई जलाने के बजाय खेत में मौजूद अवशेषों को प्राकृतिक खाद के रूप में उपयोग करना अधिक लाभकारी है। इससे भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है और उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
संपूर्ण मध्यप्रदेश में लागू प्रतिबंध
राज्य के पर्यावरण विभाग ने वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम के तहत मध्यप्रदेश में नरवाई जलाने पर पहले से ही प्रतिबंध लगाया हुआ है।
किसानों और जनसामान्य से अनुरोध है कि वे इस आदेश का पालन करें और अपने क्षेत्र में पर्यावरण की रक्षा में योगदान दें। आदेश का उल्लंघन करने पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।