नरवाई जलाना वातावरण, मृदा और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है कलेक्टर ने स्वयं किया सुपरसीडर के प्रदर्शन का अवलोकन

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नरवाई जलाना पड़ा महंगा: पर्यावरण, मृदा और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह

सुपरसीडर से खेत तैयार करें, जुर्माना और लागत दोनों से बचें

मंडला 
नरवाई (पराली) जलाना किसानों और पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या बन चुकी है। इससे वायु प्रदूषण, मृदा की उर्वरता घटने और सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने किसानों को सुपरसीडर का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।

कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ श्रेयांश कूमट ने सुपरसीडर के प्रदर्शन का अवलोकन करते हुए कहा कि यह उपकरण किसानों की लागत और समय दोनों बचाएगा। सुपरसीडर से खेती में 1.05 लाख रुपये तक की सब्सिडी उपलब्ध है, साथ ही फसल अवशेष जलाने की बजाय इस यंत्र से सीधे रबी फसलों की बुवाई की जा सकती है।

सुपरसीडर का फायदा:

  • एक यंत्र से खेत की जुताई, बीजारोपण और कवरिंग जैसे तीन काम एक साथ।
  • 10-15 दिन की समय बचत
  • प्रति एकड़ बुवाई पर 1600 रुपये अनुदान

नरवाई जलाने पर भारी जुर्माना:

नरवाई जलाने पर जिले में दंड का प्रावधान है:

  • 2 एकड़ तक: ₹2,500 प्रति घटना।
  • 2-5 एकड़ तक: ₹5,000 प्रति घटना।
  • 5 एकड़ से अधिक: ₹15,000 प्रति घटना।

कृषि विभाग के अनुसार, नरवाई जलाने की घटनाओं पर सैटेलाइट मॉनिटरिंग की जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और पर्यावरण विभाग ने भी इसे प्रतिबंधित किया है।

कलेक्टर की अपील:

कलेक्टर ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे नरवाई जलाने से बचें और सुपरसीडर जैसे आधुनिक उपकरण अपनाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें। पर्यावरण, मृदा और कृषि के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक कदम है।

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