शिरोमणि द्वारा बनाया गया लोटस सिल्क मेकेनिज़्म मॉडल |
बालाघाट, 27 अक्टूबर 24: लांजी की शिरोमणि दहीकर ने अपने छोटे भाई की विज्ञान की किताब में एक पंक्ति से प्रेरित होकर कमल के रेशों से सिल्क बनाने का एक अनोखा मैकेनिज्म तैयार किया, जिसने दिल्ली विज्ञान प्रदर्शनी में जमकर सराहना बटोरी। उनकी इस सोच को समर्थन देने वाले उनके पिता शिवनारायण दहीकर के सहयोग और वैज्ञानिक सोच ने इस मॉडल को हकीकत में बदलने में अहम भूमिका निभाई।
प्रेरणा से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान तक का सफर
शिरोमणि के छोटे भाई आदित्य ने जब लोटस सिल्क के बारे में पढ़ा, तो उनके घर में इस विषय पर चर्चा शुरू हुई। स्थानीय तालाबों में पाए जाने वाले कमल के पौधों से यह रेशमी धागा कैसे बनाया जा सकता है, इस पर खोजबीन कर शिरोमणि ने इंस्पायर अवॉर्ड प्रतियोगिता में भाग लिया। लगभग 8 लाख से अधिक पंजीकृत आइडियाज में से चुने गए 80 हजार विद्यार्थियों में से शिरोमणि का मॉडल चयनित हुआ।
इस तरह काम करता है 'लोटस सिल्क' मॉडल
शिरोमणि के इस मॉडल में कमल की हरी डंडियों के भीतर से रेशे निकालने की प्रक्रिया को मशीनीकृत किया गया है। इसमें हाइड्रोलिक सिस्टम और स्टेपर मोटर का उपयोग किया गया, जो डंडियों को काटकर उनके रेशे अलग कर देता है। इस प्रक्रिया को आर्डिनो और सेंसर की सहायता से प्रोग्रामिंग के जरिए संचालित किया गया है, जिससे रेशे स्वचालित रूप से एकत्र होते हैं।
दिल्ली और भोपाल में शिरोमणि का मॉडल हुआ सम्मानित
दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो प्राप्त करते हुए शिरोमणि |
शिरोमणी |
शिरोमणि दहीकर की यह उपलब्धि न केवल विज्ञान के क्षेत्र में उनकी दिलचस्पी को दर्शाती है, बल्कि नवाचार और ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की क्षमताओं को भी सामने लाती है।