7500 हजार रुपये मीटर शुल्क जमा करवाकर 1500 रुपये वाला पोस्टपेड मीटर लगाया जा रहा, लगातार मिल रही मीटर खराब होने की जानकारीफ़ाइल कॉपी
बिजली निगम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड मीटर की व्यवस्था लेकर आया था। शहर में करीब सात हजार उपभोक्ताओं के परिसर पर प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं। सात सौ से अधिक आवेदन भी लंबित है। लेकिन वर्तमान में प्रीपेड मीटर नहीं होने से नए मीटर नहीं लग पा रहे हैं। प्रीपेड मीटर के लिए मीटर शुल्क 7 हजार रुपये जमा करना होता है। और पोस्टपेड मीटर के लिए 1500 रुपये का शुल्क देना पड़ता। ऐसे में अब मीटर खंड की तरफ से प्रीपेड शुल्क लेकर पोस्टपेड लगवाया जा रहा। जिससे उपभोक्ताओं में नाराजगी है। मजबूरन लाइनमैन या अन्य लोगों के साथ साझेदारी कर बाइपास कर बिजली उपभोग कर रहे हैं। विजिलेंस की जांच में बिजली चोरी में पाबंद हो जाएंगे। बिजली निगम के सूत्रों ने बताया कि इसमें स्थानीय स्तर पर उपभोक्ताओं से सांठगांठ कर अवैध लाइनें खींची जा रही हैं। इससे बिजली निगम को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल ने 29 फरवरी तक का समय अभियंताओं को दिया है। इस दौरान इंस्ट्रयूमेंट डिफेक्टिव कनेक्शनों के मीटर बदले जाने हैं। इनकी वजह से उपभोक्ताओं के बिजली आरडीएफ रीडिंग डिफेक्टिव हो रहे हैं। इन्हें अगर 29 फरवरी तक नहीं बदला गया तो मीटर खंड के एक्सईन का निलंबन और अधीक्षण अभियंता को चार्जशीट दी जाएगी। गोरखपुर में 278 खराब प्रीपेड मीटर अगस्त महीने में आए थे। इनमें से कुछ मीटर जब उपभोक्ताओं के परिसर में लगाए गए तब इनके खराब होने की जानकारी मिली। इन में वर्ष 2018 से खराबी आ रही थी। बिल गड़बड़ होने की आशंका से उपभोक्ता परेशान होने लगे। भंडार खंड से मीटर खंड ने कुछ मीटर बदले, जबकि कुछ वैसे ही चल रहे हैं।