छिंदवाड़ा। मोहखेड तहसील में सरकारी आवास नासूर बनते जा रहे हैं।सरकार अधिकारियों के लिए सरकारी आवासो के निर्माण में करोड़ो रूपये खर्च करती करती है.लेकिन आवासो में कोई नही रहते है।ज्यादातर कागजो में दिख रहा हैं मैदानी स्तर पर हाल जस का तस बना हुआ है, जिनके दम पर इस तहसील का जिम्मा सौपे हैं वह खानापूर्ति कर रहे हैं।जिस मामले को लेकर पूर्व में विभिन्न समाचार पत्रो में खबरे उठायी थी।जिस मामले को लेकर तत्कालीन कलेक्टर वेदप्रकाश शर्मा ने संज्ञान में लिया था.जिसके बाद तत्कालीन तहसीलदार ने गड़मऊ पंचायत में बने नवीन सरकारी आवास में अपना डेरा जमाकर एक माह रहे।तत्कालीन कलेक्टर के तबादले के बाद वही आलम चालू हो गया.लगातार जिले के कलेक्टर सभी अधिकारियों को मुख्यालय में बने आवास में रहने के दिशानिर्देश देने के बावजूद भी इस अपडाउन के मामले में मोहखेड तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों के कान में जूं तक नही रेंगी हैं।
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कलेक्टर के आदेशो का मोहखेड के अधिकारी बनाते है मजाक
मोहखेड विकासखंड मुख्यालय में पुलिस विभाग के अलावा समस्त विभाग के कोई भी अधिकारी कलेक्टर आदेश को मानने को तैयार नही है।जिले के मुखिया का आदेश का न मानना लोगो को समझ को समझ से परे है।क्या कलेक्टर के आदेश में वो दम नही है जिससे विकासखंड मुख्यालय के सरकारी आवासो में नही रह रहे है?कितने कलेक्टर आये और चले गए बस खानापूर्ति बस रह गयी हैं। तहसील के विभिन्न विभागों में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी कलेक्टर के आदेश को ठेंगा दिखाकर चल रहे है.जैसा चल रहा था वैसा ही चलता रहेगा ये नही मानने वाले आदेश कितने आदेश आकर चले वा दे दिए गए मगर किसी भी अधिकारी-कर्मचारियों पर आज तक कोई कार्यवाही नही हुई है।
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खंडहर बन रहे पुराने एंव नवीन तहसीलदार सरकारी आवास
गरीब तबके के लोग पक्के मकान की आस लगाये बैंठे है,वही जिन अधिकारी-कर्मचारियों के रहने के लिए सरकार ने लाखो रूपये खर्च कर सरकारी आवास बनाकर दी है ,वह बिना आवास बिना उपयोग के खंडहर हो रहे है।
सरकारी आवासो के निर्माण में सरकार के पैसो की बरबादी का अगर मंजर देखना है तो वह मोहखेड तहसील में देख सकता है.यहा पर विभिन्न विभागों के अधिकारी- कर्मचारियो के लिए मुख्यालय पर लाखो-करोड़ो रूपये खर्च कर सरकारी आवासो का निर्माण कर रही है।
किंतु शौकिन जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी मुख्यालय में बने सरकारी आवासो मे न रहने बजाय शहर के किराये,निजी एंव मकानो में किराये आवासो में रह रहे है।वही मुख्यालय पर बने सरकारी आवास में कोई भी अधिकारी-कर्मचारी न रहने से खंडहर बन रहे है.इसके बावजूद भी नवीन आवासो का निर्माण कराया जा रहा है।बता दे मऊ कालोनी में एक दर्जन से अधिक स्वास्थ्य विभाग के सरकारी आवास बने है जिनमें कुछ कर्मचारियों ने अपना ताला लगाकर रखा है,वही कुछ आवासो में मवेशियो का भूसा भर दिया गया.वही गड़मऊ में तहसीलदार समेत अन्य कर्मचारियों की लाखो रूपये खर्च बनायी बिल्डिंग बिना उपयोग के खंडहर हो गई. जिसमें अब आसपास के किसानो ने सब्जियों और अनाज का गोदाम बना दिया तो किसी ने मवेशियों को बांधने व भूसा भरने का गोदाम बना लिया है.
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सीईओ के आवास में पीसीओ का डेरा
जनपद पंचायत मोहखेड सीईओ को आवंटन सरकारी आवास में एक मात्र पीसीओ छत्रपति कवलाते रह रहे है.वही सभी जनपद के कुछ कर्मचारियों ने अपना ताला लगाकर रखा है तो वही कुछ लोगो ने कागजो पर मुख्यालय पर किराये का मकान बताया है.जबकि यह मुख्यालय छोड अन्य जगहो से रोजाना अपडाउन कर रहे है.
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स्वयं नही रहते मुख्यालय,छोटे कर्मचारियों कि शिकायत उच्च अधिकारी को भेजते
जनपद पंचायत मोहखेड में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी समेत उनका अधीनस्थ अमला खूद मुख्यालय पर नही रहता है.किंतु वह सचिवो के मुख्यालय पर नही रहने को जिले में इसका पत्र भेजा जाता है.यह कैसा दोहरा चरित्र स्वयं नदारद और छोटे कर्मचारियों को मुख्यालय पर रहने का पाठ पढ़ा रहे है।
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कलेक्टर मेड़म की सख्ती से सरकारी आवासो की लौंट सकती है रौनक
मुख्यालय पर अमला न रहने से सरकारी आवास हो रहे खंडहर एंव रोजाना अपडाउन की प्रथा प जिले में पदस्थ कलेक्टर शीतला पटले मेड़म की सख्ती के बाद ही इन बेपरवाह अधिकारी-कर्मचारियों के अपडाउन पर अंकुश लगाने के साथ खंडहर हो रहे सरकारी आवास की रौनक को लौट सकती है।बहरहाल आगे देखा जायेगा क्या जिले की कलेक्टर मेड़म इस पर आगे क्या कार्यवाही करती है.यह इसी तरह सिस्टम जारी रहेगा.
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इनका कहना
शासन की गाइडलाइन को दरकिनार रखते हुए मुख्यालय पर अधिकारी-कर्मचारी के निवास के लिए बने सरकारी आवासो में न रहने की बजाय शहरी क्षेत्र में रह रहे.जिससे इनकी कार्यप्रणाली में संदेहास्पद स्थिति पैदा होती है।निर्धारित समय पर न आने पर दूरस्थ गांवो से आने वाली आमजनता परेशान होती है.
कीर्ति विजय गांवडे,पूर्व अध्यक्ष,जनपद पंचायत मोहखेड
अगर अधिकारी-कर्मचारी इन सरकारी आवासो में रहना पंसद नही कर रहे है तो गांव के उन गरीब परिवारों को उपलब्ध कराना जिनके मकान जर्जर-जर्जर अवस्था एंव मकान न हो ऐसे लोगो को आवंटन करा देना चाहिए. जिससे लाखो रूपये से बने खंडहर भवन की रौनक लौंट सके और गरीब को पककी छत मिल सके.
नालिनी दिनेश घोरसे,जनपद सदस्य गड़मऊ
सरकारी आवासो में कोई भी न रहने इन आवासो में जुआरियों, मवेशियों समेत असामाजिक तत्वों का डेरा जमा रहता है.जिससे संपत्ति का नुकसान हो रहा है।इस बात को लेकर मैं घोर निंदा करती हु,और कलेक्टर से मेरी मांग वह कड़ा कदम उठाकर खंडहर हो रहे आवासो की उचित व्यवस्था बनाये।
रश्मि साहू,जनपद सदस्य मोहखेड
जिन अधिकारी-कर्मचारियों के लिए मुख्यालय बने सरकारी आवासो को आवंटित किए गये वह अपने आवासो में निवास करना चाहिए।वही कुछ कर्मचारी कागजो पर किराया का मकान बताकर अपने घरो में निवास कर रहे है.जिम्मेदार तहसीलदार,नायब तहसीलदार सीईओ समेत जो अधिकारी मे मुख्यालय पर नही रहते है.ऐसे अधिकारी-कर्मचारी पर शासन विधिवत उचित कार्यवाही करे।
ममता मदन साहू,जिला पंचायत सदस्य मोहखेड