आंगनबाड़ी केंद्रों में भी च्यवनप्राश और शहद बांटने की तैयारी

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कुपोषण दूर करने के लिए प्रदेश सरकार 97 हजार 135 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीबद्ध 90 लाख से अधिक हितग्राहियों को च्यवनप्राश व शहद देने की तैयारी कर रही है। 
भोपाल कुपोषण दूर करने के लिए प्रदेश सरकार 97 हजार 135 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीबद्ध 90 लाख से अधिक हितग्राहियों को च्यवनप्राश व शहद देने की तैयारी कर रही है। इसमें बच्चे, गर्भवती व धात्री माताएं शामिल हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है
सरकार का मानना है कि च्यवनप्राश और शहद से कुपोषित बच्चों की स्थिति में सुधार आएगा। पिछले साल विधानसभा में सरकार की ओर से प्रस्तुत जानकारी के अनुसार प्रदेश में 10 लाख 32 हजार बच्चे कुपोषित हैं। इसमें से छह लाख 30 हजार बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में हैं।

कुपोषित बच्चों को च्यवनप्राश और शहद देने की शुरूआत मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ ने की है। वनमंत्री ने खंडवा में एक कार्यक्रम में घोषणा की थी कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों को च्यवनप्राश और शहद देंगे। इसके बाद संघ खर्च का ब्योरा तैयार कर रहा है।

इसी से प्रेरित होकर महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी तैयारी शुरू की है। दरअसल, भारत और राज्य सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2030 तक हर हाल में देश और प्रदेश से कुपोषण समाप्त करना है। इसी के चलते कुपोषण दूर करने के कई प्रयास किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में स्थानीय अनाज, मोटे अनाज के व्यंजन दिए जा रहे हैं, तो खून की कमी दूर करने के लिए दवाएं भी दी जा रही हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी
अधिकारी बताते हैं कि कुपोषित बच्चों को च्यवनप्राश और शहद देने के पीछे यह मंतव्य है कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। दरअसल, कुपोषण के कारण शरीर कमजोर हो जाता है और बीमारियां घेर लेती हैं। यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी, तो ऐसे बच्चे कम बीमार होंगे और उनकी स्थिति में उत्तरोत्तर सुधार आएगा।
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