बच्चों ने ऐसा नाटक का मंचन किया कि लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो गये

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सिवनी 25 दिसंबर बच्चों ने आज ऐसा नाटक का मंचन किया कि लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो गये। ऐश्वर्य गौतम नामक छात्र ने तो चंद्रशेखर आजाद की ऐसी एक्टिंग की कि लोगों के आंखों में आंसू आ गये। वहीं एक अन्य नाटक में गडरिया की भूमिका निभाने वाली छात्रा प्रिंसी ने अपने अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया। यह नाटिका का मंचन 24 दिसंबर को बरघाट विकासखंड अंतर्गत शास.उ.मा.वि. दौंदीवाड़ा स्कूल में किया गया। कार्यक्रम के पूर्व सभी विद्यार्थियों और स्कूल के स्टाफ ने सुशासन की प्रतिज्ञा ली।
लोक शिक्षण संचालनालय के निर्देशानुसार सभी स्कूल में हर शनिवार को सीसीएलई के तहत विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही है। इसी तारतम्य में 24 दिसंबर शनिवार को नाटिका का मंचन होना था। शास.उ.मा.वि. दौंदीवाडा में प्राचार्य श्रीमती ज्योति गोदुड़े के मार्गदर्शन में आज चार नाटिका का मंचन किया गया। स्कूल के विद्यार्थियों को चार सदनों में विभिक्त किया गया था जिसमें 9वीं, 10वीं, 11वीं एवं 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को शामिल किया गया। चार नाटकों में ज्ञान की डगर, मुकदमा हवा और पानी का, कचरू काका और चंद्रशेखर आजाद-जीवनी को शामिल किया गया था। इन चारों में से चंद्रशेखर आजाद -जीवनी पर आधारित नाटक का मंचन इतने मार्मिक तरीके से किया गया कि लोगों के आंखों में आंसू आ गये और लोगों ने इनके पात्रों के अभिनय को खूब सराहा। देशभक्ति से परिपूर्ण इस नाटक के सभी पात्रों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभायी। इसके तहत कैसे चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों के सामने अपनी  हार कभी नहीं मानी और देश की आजादी के लिये अंग्रेजों से लोहा लिया। इतना ही नहीं अंग्रेज सैनिकों से लड़ते- लड़ते जब अपनी रिवाल्वर की गोली खत्म होने लगी तो अंत में अपने ही रिवाल्वर से स्वयं को गोली मारकर शहीद हो गये लेकिन अंग्रेजों के हाथों नहीं आये।


इसी तरह दूसरे नाटक कचरू काका का मंचन भी किसी से कम नहीं था। इस नाटक के माध्यम से लोगों को जाग्रत किया गया कि हमारे आसपास के कचरे को डस्टविन में ही डाले, इधर-उधर न फैलायें, क्योंकि गंदगी ही आमजन की समस्या का कारण बनता है। वहीं ज्ञान की डगर नाटक से प्रकृति के प्रेम को बताया गया। इन प्रेरणादायी नाटक के माध्यम से लोगों को जाग्रत करने का प्रयास किया गया कि प्रकृति अपना काम करती है और हम अपनी सुविधा अनुसार इसके साथ खिलवाड़ करते हैं जिसके दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। अत: हम प्रकृति के अनुरूप कार्य करें और अधिक से अधिक पेड़ लगायें।

कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य श्रीमती ज्योति गोदुड़े ने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिये। प्रदेश सरकार की भी यही मंशा है कि पढ़ाई के साथ विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो। इसी उद्देश्य को लेकर सभी स्कूलों में इस तरह के आयोजन हो रहे हैं। एक मंच ही लोगों की प्रतिभा को निखारने का माध्यम है। सभी विद्यार्थियों में कुछ न कुछ विशेषताएं होती हैं, मंच के माध्यम से हमारे अंदर छिपी प्रतिभा लोगों के सामने आती है, अत: हम उन्हें प्रोत्साहित करें।
शिक्षिका श्रीमती जाहिदा खान ने अपने अनोखे मंच संचालन से एक अलग ही समां बांधा। वहीं शिक्षक कामेस ठाकुर ने अपने शायरी अंदाज में विद्यार्थियों को प्रेरणादायी संदेश दिया। शिक्षक धमेन्द्र बाकले, प्रफुल्ल पंद्राम, अजय उईके ने विद्यार्थियों को प्रेरणादायी उद्बोधन देते हुये कहा कि हमें पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों में रूचि लेना चाहिये, ताकि हमारा सर्वांगीण विकास हो सके। हमें कोई भी काम को छोटा नहीं समझना चाहिये, यदि हमें कामयाब बनना है तो शुरूआत छोटी सीढ़ी से ही होती है। हमें मंजिल तक पहुंचना है तो निरंतर प्रयास करना जरूरी है। आज के कार्यक्रम हेतु नाटक को तैयार करने में शिक्षिका श्रीमती सुषमा चौधरी, श्रीमती ज्योति शरणागत, श्रीमती रीता ठाकुर, सुश्री चेतना ठाकरे, श्रीमती हिना पटले एवं श्रीमती जाहिदा खान का सराहनीय योगदान रहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक इंद्रेश पटले, राहुल चौरे, कम्प्यूटर आॅपरेटर डी.एस. राकशे, कामेश ठाकुर, संतोष टेम्भरे, विरेन्द्र मर्सकोले सहित स्कूली छात्र-छात्राओं की भूमिका सराहनीय रही।

प्राचार्य
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