।जिले के इंद्रावली ग्राम मे सप्तम दिवस ,शुकदेव पूजन, ठाकुर जी की सुंदर लीला , सुदामा चरित्र गुरुओं का दिव्य वर्णन, द्वारिकाधीस भगवानं का विवाह का सम्पूर्ण विवरण , ठाकुर जी का सुधाम गमन लीला एवं भागवत जी का संपूर्ण सार कथाओं का भावपूर्ण प्रसंगों से वर्णन किया।जिसे सुनकर श्रोतागण भक्ति के सागर में डूब गए. भागवत कथा में वर्णन करते हुए परम पूज्य आचार्य श्री मधुर कृष्ण महाराज जी ने कहा जिस प्रकार भगवान द्वारिकाधीश ने अपने परम भक्त और बालसखा सुदामा को बिना मांगे ही दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया था। कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव अपने मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। ओर बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर द्वारिकाधीश ने उनका भव्य स्वागत किया। भावविह्वल द्वारिकाधीश अपने मित्र को सामने पाकर अपने अश्रु नहीं रोक सके और आंसुओं से ही उनका पद प्रक्षालन किया। द्वारिकाधीश ने सुदामा की कांख में दबी पोटली लेकर दो मुट्ठी चावल अपने मुख में डाल कर उन्हें दो लोकों का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया। इस दौरान अंतिम दिन सभी भक्तों ने परम पूज्य व्यास जी महाराज का पूजन करके आशीर्वाद लिया। इस आयोजन में रामवीर बघेला ,महावीर बघेला ,राकेश बघेल ,सत्येंद्र बघेल,पदम बघेल, लक्ष्मण सिंह, अर्जुन सिंह,श्रीनिवास, गजेंद्र रियार, सरस्वति पाल, रेणु बघेल, कालीचरण बघेल, नीलम बघेल, रामअवतार, शशि प्रभा, प्राची पाल, कुनाल बघेल,आदि उपस्थित रहे।